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मंगलवार, 17 नवंबर 2009

चौके-छक्के – 1

मित्रों,

ब्लॉग की दुनियां में मैं भी आ गई। सिर्फ एक उद्देश्य से कि लोगों के तनाव भरे जीवन में एक-आध पल हंसी के बांट सकूं। इसके लिए जो भी मैं पेश करूंगी वे मेरे स्व रचित हों इसका दावा मैं नहीं कर सकती। मुझे जहां से भी हास्यफुहार मिलेगा, मैं पेश करती रहूंगी।

चौके-छक्के – 1

मियां-बीवी लौट रहे थे होटल से खाकर खाना,

तबियत बड़ी रंगीन थी मौसम भी था सुहाना।

हस्बैंड मचल रहा था सुनने को फिल्मी गाना।

बीवी ने हाथों में हाथें डालकर छेड़ा था ये तराना -- के

....... “भैया मोरे राखी के बंधन को निभाना

भैया मोरे छोटी बहन को न भुलाना”

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अगर पसंद आया तो दिल खोलकर ठहाका लगाइएगा।

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