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बुधवार, 1 दिसंबर 2010

खदेरन के घर में चहल-पहल

कुछ दिनों से खदेरन के घर में खूब चहल-पहल थी। पर खदेरन की कोई आवाज़ नहीं आ रही  थी। यह बात फाटक बाबू को परेशानी में डाले दे रही थी। खदेरन दिख भी नहीं रहा था।

आज सुबह-सुबह बरामदे में खदेरन दिख गया। फाटक बाबू ने उसे पास बुलाया और पूछा, “क्या कहीं बाहर गए थे?”

खदेरन ने कहा, “ नहीं, घर में ही था। … क्यों?”

images (6)फाटक बाबू ने हैरानी जताते हुए कहा, “अच्छा! पर दिखे नहीं कई दिनों से! इसी लिए पूछ लिया।” फाटक बाबू ने फिर पूछा, “तुम्हारे घर में आजकल बहुत चहल-पहल है। मेहमान आए हैं क्या?”

 

खदेरन ने जवाब दिया, “हां।”

फाटक बाबू खदेरन के इस संक्षिप्त उत्तर से संतुष्ट न होते हुए पूछा, “कौन-कौन आया है घर में, बहुत सारे लोग लग रहे हैं।”

खदेरन ने इस बार पूरा बताया, “मैं, मेरी पत्नी, मेरी सास, और चारों सालियां।”

फाटक बाबू ने मुस्कुराते हुए कहा, “तभी तो ! .. अब समझा कि तुम्हारी आवाज़ क्यों नहीं सुनाई दे रही थी!! आजकल तुम्हारा तो मुंह उसी वक़्त खुलता होगा जब तुम जम्हाई लेनी हो या छींक आती होगी!!!”

12 टिप्‍पणियां:

  1. सही है। इतनी महिलाओं के सामने खदेरन का मुंह तो खुलता ही नहीं होगा।
    मज़ेदार!
    हा-हा-हा....

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  2. बहुत खूब लगा खदेरन के चुप रहने का राज

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