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रविवार, 20 फ़रवरी 2011

नहाने का साबुन

फुलमतिया जी ने समझा-बुझा कर खदेरन को बाज़ार भेजा साबुन खरीदने के लिए।

फुलमतिया जी के निर्देशानुसार खदेरन ने दुकानदार से कहा, “एक ऐसा सबुन देना जो बहुत कम घिसे और नहाने के बाद चेहरे पर लाली ला दे,साथ ही दाम भी कम हो।”

दुकानदार ने अपने नौकर से कहा, “साहब को ईंट का टुकड़ा ला कर दे दो!”

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