हास्यफुहार
किताबे ग़म में ख़ुशी का ठिकाना ढ़ूंढ़ो, अगर जीना है तो हंसी का बहाना ढ़ूंढ़ो।
फ़ॉलोअर
शनिवार, 3 नवंबर 2012
मंगलवार, 10 जुलाई 2012
खदेरन की मुश्किल
सौभाग्य से खदेरन को मुम्बई जाने का मौक़ा मिला। अपने एक दूर के रिश्तेदार के यहां जाने के लिए उसने स्टेशन के सामने से डबल डेकर बस पकड़ा। बस में चढ़ते ही कंडक्टर ने उसे ऊपर भेज दिया।
थोड़ी ही देर में खदेरन भागता हुआ नीचे पहुंचा और कंडक्टर पर बरस पड़ा, “अबे ओ कंडक्टर ! मरवाएगा क्या? ऊपर तो ड्राइवर ही नहीं है।”
रविवार, 8 जुलाई 2012
बीमारी
मरीज़ हक़ीम से : मुझे अजीब सी बीमारी हो गए है। जब मेरी बीवी बोलती है, तो मुझे कुछ सुनाई नही देता।”
हक़ीम मरीज़ से : यह बीमारी नहीं है, यह तो तुम पर अल्लाह की रहमत है।
शनिवार, 7 जुलाई 2012
फाटक बाबू के ज्ञान की कक्षा में खदेरन
खदेरन को सब बेवकूफ़ समझने लगे तो उसने अपई व्यथा फाटक बाबू कि सुनाई और उनसे बोला,“फाटक बाबू लोग मुझे बेवकूफ़ कहते हैं। मुझे मेरा सामान्य ज्ञान बढ़ाना है। आप तो बहुते तेज़ हैं, हमको मदद कीजिए।”
फाटक बाबू ने कहा कि कल से रोज़ सुबह छह बजे आ जाना, हम तुमको ज्ञान की बातें बताया करेंगे।”
***
एक दिन ज्ञान की कक्षा में फाटक बाबू खदेरन को समझा रहे थे, “जानते हो खदेरन, एक शोध से पता चला है कि चौबीस घंटे में एक पति 23,000 शब्द बोलता है, जबकि एक पत्नी 30, 000 शब्द बोलती है।”
खदेरन जो अब तक कुछ ज्ञान हासिल कर चुका था ने अपनी बुद्धि दौड़ाई और बोला, “ई त ठीके है। मर्द कम बोलता है। स्त्री बेसी। इसमें समस्या कहां है?”
फाटक बाबू बोले, “समस्या तो तब शुरू होती खदेरन, जब पति अपने ऑफिस से अपना 23,000 शब्द खतम करके घर आता है और पत्नी अपने 30,000 शब्द के साथ शुरू हो जाती है।”
शुक्रवार, 6 जुलाई 2012
शिक्षक और भगावन
शिक्षक भगावन से : दो में से दो गए तो कितना बचा?
भगावन : सर मैं समझा नहीं।
शिक्षक : इस तरह समझो कि तुम्हें खाना दिया गया है जिसमें दो रोटी है। वो रोटी तुमने खा ली तो तुम्हारे पास क्या बचा?
भगावन : सब्जी।
गुरुवार, 5 जुलाई 2012
भिखारी और सेठ
भिखारी : सेठ पांच रुपया दोना, बहुत भूख लगी है। भगवान तेरा भला करेगा।
सेठ : मेरे पास सौ रुपए का नोट है। तेरे पास छुट्टा, पच्चानवे रुपए हैं क्या?
भिखारी : हां, हैं।
सेठ : तो पहले वो तो ख़र्चा कर!!
बुधवार, 4 जुलाई 2012
सिवाए तारीफ़ के …
अख़बार पढ़ते खदेरन की नज़र एक समाचार पर टिक कर रह गई। इस विशेष और शोधपूर्ण अलेख को अपनी श्रीमती से शेयर करने से वह अपने-आपको रोक नहीं पाया।
ज़ोर से बोला, “फुलमतिया जी, कितनी ख़ुशी की बात है, आपको भी मालूम होना चाहिए। मूर्ख आदमियों की बीवियां सुंदर हुआ करती हैं।”
फुलमतिया जी ने इठलाते हुए कहा, “जाओ भी, तुमको तो मेरी तारीफ़ के सिवा कुछ सूझता ही नहीं।”