चोर चाकू दिखाते हुए यात्री से, “अबे, तेरे पैसे निकाल।”
आदमी, “अबे तू जानता है मैं कौन हूं?”
“कौन?”
“मैं नेता हूं।”
चोर, “अच्छा! तो फिर मेरे पैसे निकाल …!”
चोर चाकू दिखाते हुए यात्री से, “अबे, तेरे पैसे निकाल।”
आदमी, “अबे तू जानता है मैं कौन हूं?”
“कौन?”
“मैं नेता हूं।”
चोर, “अच्छा! तो फिर मेरे पैसे निकाल …!”
उस दिन खदेरन बहुत दुखी था। हर तरफ़ से निराशा उसके हाथ लगी थी। निराशा की पराकाष्ठा की स्थिति में उसके मुंह से निकला, “ऐसी ज़िन्दगी से तो मौत अच्छी।”
अचानक वहां यमदूत प्रकट हुआ और अट्टहास करने लगा, “हा-हा-हा-हा…”
खदेरन ने उसकी ओर देखा और पूछा, “तुम कौन और क्या लेने आए हो?”
“मैं यम दूत और तुम्हारी जान लेने आया हूं।”
“क्यों?”
“अभी तो तुमने कहा था ‘ऐसी ज़िन्दगी से तो मौत अच्छी’ …।”
“लो कर लो बात! अब दुखी आदमी मज़ाक़ भी नहीं कर सकता।”