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शुक्रवार, 26 फ़रवरी 2010

दुश्मनों से मुक्ति

दुश्मनों से मुक्ति

आज सुबह सुबह मेरे पति स्नानादि कर पूजा अर्चना कर रहे थे।

पूजा की समाप्ति पर ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे, “हे भगवान ! मुझे आज मेरे दुश्मनों से मुक्ति दिलाओ।

मैंने सुन लिया, बोली कितनी भी पूजा कर लो, मुझसे मुक्ति नहीं ही मिलेगी।

हा-हा-हा-ह--... आप भी सोच रहे होंगे कि आज आपसे ठहाके लगाने का निवेदन करने के वजाए मैं ही ठहाके लगा रही हूँ।

जब 22 साल झेल गये तो अब कहां जायेंगे?

आज हमारी शादी की २२वीं सालगिरह है।

अक्तूबर से शुरु किये गये इस सिलसिले में मैंने हंसी बांटने की भरपूर कोशिश की। नोंक-झोंक से तो बंधन और मज़बूत ही होता है। आशा है हमारा यह नोंक-झोंक आपको ज़्यादा झेलाया ना होगा।

आज से यह सिलसिला बंद कर रही हूँ।

ब्लाग जगत में निष्ठा, विश्वास और प्रेम बना रहे क्य़ोंकि

स्नेह. शांति, सुख, सदा ही करते वहां निवास

निष्ठा जिस घर मां बने, पिता बने विश्वास।

इसलिये

मुस्कुराना चाहता तो प्यार कर हर शख्स से,

नफ़रतें तो दिल जलाकर दर्द ही देंगी तुझे।

फलसफा है जीने का

जिंदगी के हर मोड़ पर

सुनहरी यादों के एहसास रहने दो।

सुरुर दिल में जुबां पे मिठास रहने दो।

यही फलसफा है जीने का,

ना ख़ुद रहो उदास

ना दूसरों को उदास रहने दो।

निवेदन

किताबे ग़म में खुशी का ‍िठकाना ढूंढो

अगर जीना है तो हंसी का बहाना ढूंढो ।

बस...!!!

गुरुवार, 25 फ़रवरी 2010

इंतज़ार

इंतज़ार

एक दिन श्रीमती जी ने खींजते हुए कहा, घर में जवान बेटी बैठी हुई है और तुम्हें कोई चिंता ही नहीं है।

क्यों तुम्हें क्यों ऐसा लगता है कि मुझे कोई चिंता नहीं है। पर मैं क्या करूं?

कुछ भाग-दौड़ क्यों नही करते?

कोई ढंग का लड़का मिले तब तो।

सोचो अगर मेरे पिताजी भी ढंग के लड़के का इंतज़ार करते तो तुम्हारा क्या होता?

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बुधवार, 24 फ़रवरी 2010

सवाल जवाब

सवाल जवाब

चाकू किसे कहते हैं?

आरी के बच्चे को,

जिसके दांत न निकले हो ।

चाय हानिकारक है या लाभदायक ?

अगर कोई पिला दे तो लाभदायक और

अगर पिलाना पड़े तो हानिकारक

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मंगलवार, 23 फ़रवरी 2010

कल रात नींद में

कल रात नींद में

श्रीमती जी : सुनो जी कल रात नींद में तुम मुझ पर काफी चिल्ला रहे थे।

श्रीमान जी : हूँ, चिल्ला रहा था ?

श्रीमती जी : हां। यहां तक कि गालियां भी दे रहे थे।

श्रीमान जी : यह तुम्हारी ग़लतफहमी है।

श्रीमती जी : कैसी ग़लतफहमी ?

श्रीमान जी : यही कि मैं नींद में था।

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सोमवार, 22 फ़रवरी 2010

वरमाला

वरमाला

श्रीमान और श्रीमती जी टी.वी पर रामायण सीरियल देख रहे थे। प्रसंग था सीता स्वयंवर का। श्रीरामजी ने धनुष तोड़ा। करतल ध्वनी हुई। सीताजी आई। रामजी का चरणस्पर्श किए। वरमाला पहनाई।

यह दृश्य देख श्रीमान जी को अपना वरमाला याद आ गए। शिकायत के लहजे में बोले, “तुमने तो वरमाला के पहले मेरे चरण नहीं छुए थे …..

श्रीमती जी कोई मौका चूकती थोड़े ही थी। बोली, “हां नहीं छूए थे ….. तो तुमने कौन सा धनुष तोड़ा था, और फिर यह जो सीरियल चल रहा है इसकी सीता जी को ये सब करने के लिए लाखों रूपये मिले हैं।

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रविवार, 21 फ़रवरी 2010

मैं तुम्हें तलाक दे दूंगी

मैं तुम्हें तलाक दे दूंगी

पत्नी पति से सुनो जी अगर इसी रफ्तार से तुम्हारे सिर के बाल झड़ते रहे तो एक दिन मैं तुम्हें तलाक दे दूंगी । मुझे गंजे लोग बिल्कुल पसंद नहीं |

पति (प्रत्यक्ष) हूं, ठीक है।

(मन-ही-मन) - अरे मैं भी कितना बेवकूफ हूं कि कुछ अच्छा मांगने के बजाए भगवान से हमेशा कहता रहा कि मेरे बाल सही सलामत रहे। भगवान मुझे ज़ल्दी से गंजा कर दे।

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शनिवार, 20 फ़रवरी 2010

इम्तहान लेकर देखो

इम्तहान लेकर देखो

पत्नी पति से तुम मुझसे कितना प्यार करते हो ?

पति मैं तुमसे बहुत प्यार करता हूँ ।

पत्नी क्या मैं तुम्हारा इम्तहान ले सकती हूँ ।

पति लेकर देखो

पत्नी- क्या तुम मेरी जूठी चाय पी सकते हो ?

पति अरी भाग्यवान, ये जूठी चाय क्या मैं तो तुम्हारा जूठा जहर भी पी सकता हूँ । अगर विश्वास न हो तो आज ही इम्तहान लेकर देखो ।

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शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2010

लापरवाही

लापरवाही

बात बहुत पुरानी है। तब फाटक बाबू की नई-नई नौकरी लगी थी। वो अपने साहब घोंटू मल के पी.ए. थे। साहब बड़े लापरवाह किस्म के इंसान थे। दिन भर इधर-उधर, मीटिंग-सीटिंग के नाम पर बिता देते थे और शाम तक औफिस में फाइलों की ढ़ेर लग जाती थी। वह ढ़ेर जमा होते जाता। आज छोड़ो कल देखेंगे। साहब यह बात रोज़ कहते और घर चल देते।

एक दिन बड़ा साहब राउंड पर आये और घोंटू मल की टेबुल पर फाइलों की ढ़ेर देख कर बहुत नाराज़ हुए। डांट-डपट लगा कर यह फ़रमान देते गये कि चाहे जितनी देर हो सारी फाइलें आज ही क्लीयर हो जानी चाहिए वर्ना ...?

बहुत बड़ा संकट था। घोंटू मल फाटक बाबू को बोले, आज आप भी रुकिए। दोनों मिल कर काम करते हैं।

अब बात पुरानी है तो ज़ाहिर है वह ज़माना बाल प्वाएंट या जेल पेन वाला नहीं था। इंक पेन से हस्ताक्षर होता था। घोंटू मल फाइलों पर हस्ताक्षर करते और फाटक बाबू ब्लाटिंग पेपर से सुखाते। इस तरह रात के क़रीब तीन बजे काम ख़तम हुआ। दोनों अपने-अपने घर गये।

दूसरे दिन दफ़्तर पहले फाटक बाबू पहुंचे। फिर क़रीब एक घंटे बाद घोंटू मल पहुंचे। दरवाज़ा खोलकर भीतर घुसते ही घोंटू मल का माथा ही चकरा गया। टेबुल पर फाइलों का उतना ही ढ़ेर!

उन्होंने फाटक बाबू को बुलाया और पूछा, माज़रा क्या है?

फाटक बाबू बोले, सर, सारा फाइल वापस आ गया है।

घोंटू मल ने प्रश्न किया, क्यों?

फाटक बाबू ने जवाब दिया, टेक्निकल फाल्ट है सर।

घोंटू मल चौंके, टेक्निकल फाल्ट?

फाटक बाबू बोले, हां सर, कल सर, आपने सारी फाइलों पर पेंसिल से हस्ताक्षर कर दिया था। फाइलें वापस कर दी गईं हैं इस नोट के साथ कि ईंक से साइन कर के भेजें।

घोंटू मल ने अपना माथा ठोक लिया और बोले, यदि मैं पेंसिल से साइन कर रहा था तो रात भर तू ब्लोटिंग पेपर से क्या सुखा रहा था?

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गुरुवार, 18 फ़रवरी 2010

रिक्त स्थानों की पूर्ति करो

आधुनिक शिक्षा प्रणाली में सुधार के तहत फिल्मों को भी पाठ्यक्रम में शामिल कर लिया गया है। प्राथमिक कक्षा के छात्र चौपटनाथ से गुरु चुगलीकांत जी ने हिंदी फिल्म के एक प्रसिद्द डायलाग को आधा लिख कर रिक्त स्थानों की पूर्ति करने को कहा।
प्रश्न : जिनके घर शीशे के होते हैं वो............
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उत्तर : वो...... लाईट ऑफ़ कर के कपड़े बदलते हैं !!
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बुधवार, 17 फ़रवरी 2010

लड़कियां नहीं होती तो......

एक दिन फाटक बाबू अपने पोते चौपटनाथ को पढ़ा रहे थे। बीच में प्रश्न पूछ बैठे।
बताओ इस संसार में लड़कियां नहीं होती तो क्या होता ?
चौपट बोला, "लड़कियां नहीं होती तो......
स्कूल : सुनसान
कॉलेज : श्मशान
मार्केट : वीरान
न जानू, ना जान
न कोई बॉय-फ्रेंड,
ना कोई गर्ल-फ्रेंड के लिए परेशान......
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केवल जय हनुमान............. !!
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अगर पसंद आया तो लगाइए ठहाका !
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मंगलवार, 16 फ़रवरी 2010

दो रुपैय्या में इंटरनॅशनल लिट्टी चोखा

बेरोजगारी से तंग आ कर फाटक बाबू ने पटना जंक्शन पर लिट्टी-चोखा बेचना शुरू कर दिया। लेकिन यहाँ भी रोज नयी-नयी आफत। कभी पुलिस वाले को दो तो कभी ठेकेदार को तो कभी किसी और को। एक दिन भोजपुरी फिलिम के सुपरस्टार खदेरन महगाई के मारे ट्रेन से पटना पहुंचे। जंक्शन पर फाटक बाबू का गोल-गोल लिट्टी देख कर मुंह में पानी आ गया। रेट पूछा।
फाटक बाबू ने कहा, "दो रुपैय्ये पीस"।
खदेरन : "कम नहीं होगा ?"
फाटक बाबू : "नहीं भाई-साहेब ! एक पैसा कम नहीं होगा।
खदेरन : "ठीक है। दो लिट्टी दे दो !"
फाटक बाबू ने दो रूपये के दो सिक्के बटुआ में गिरा कर दो लिट्टी चोखा के साथ कागज़ पर बढ़ा दिया।
एक लिट्टी तोड़ते ही खदेरन बोल पड़ा : "ऐ भाई ! देखो, इस में मक्खी है !"
फाटक बाबू : "धुर्र मरदे ! इतना मंहगाई है.......... दो रुपैय्या में मक्खी नहीं तो हाथी लोगे क्या ?
हा.... हा.... हा..... हा.... हा.... हा...... !!!
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सोमवार, 15 फ़रवरी 2010

टॉनिक

टॉनिक

खदेरन एक बाजार से गुजर रहा था। सड़क के किनारे फुटपाथ पर एक ठेला गाड़ी लगाए एक दुकानदार शीशी को हवा में लहरा लहरा कर कुछ बेच रहा था। उसने उत्सुकतावश पूछ दिया, “क्या है ?”

दुकानदार ने कहा, साहव यह एक अच्छा टॉनिक है। स्त्रियों के लिए तो बहुत ही फायदेमंद है। आप अपनी पत्नी के लिए ले जाइए।

खदेरन बोला लेकिन मैं शादीशुदा नहीं हूँ।

दुकानदार बोला,तो अपनी प्रेमिका के लिए ले जाइए।

खदेरन ने बतायामेरी प्रेमिका भी नहीं है।

दुकानदार ने जवाब दियातो मेरी ओर से गिफ्ट समझकर रख लीजिए। आप जैसे खुशनसीब मिलते कहां है ?

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रविवार, 14 फ़रवरी 2010

चारा

चारा

नवविवाहिता श्रीमती खद्योत ने वैलेंटाइन डे पर पति द्वारा तोहफ़ा न दिये जाने से दुखी होकर श्रीमती खंजन से प्रश्न किया, शादी के पहले हर वैलेंटाइन डे पर तोहफे लाकर देने वाला प्रेमी पति बनते ही तोहफे देना क्‍यों बंद कर देता है?

श्रीमती खंजन ने उसकी शंका का समाधान किया, मछली पकड़ने के बाद भी कोई चारा डालता है क्‍या?

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भुलक्कर

कोर्ट में हत्या के एक मुकदमे की सुनवाई चल रही थी। चश्मदीद गवाह को कठघरे में बुलाया गया।

वकील : भूलन भाई भगोरे की मौत होते हुए तुम ने देखा ?

गवाह : हाँ हुज़ूर !

वकील : बताओ ! भूलन भाई की मौत कैसे हुई ?

गवाह : अब का बताएं हजूर ! जैसा उसका नाम था, वैसा ही काम। बहुत भुलक्कर था। सब कुछ ठीक ही चल रहा था मगर वो तो सांस लेना ही भूल गया!

शनिवार, 13 फ़रवरी 2010

जा छुप जा

जा छुप जा

खदेरन का पोता खेलावन उस दिन स्‍कूल से भाग आया।

खेलावन के दादा खदेरन ने पूछा, क्‍यों बे इतनी जल्‍दी क्‍यों भाग आया स्‍कूल से ?

खेलावन बोला, मेरी टीचर बहुत कड़क है। मजा नहीं आता उसकी क्‍लास में। भाग आया!

खदेरन ने पूछा, तो अब क्‍या करेगा ?

खेलवान बोला, आपके साथ खेलूंगा।

दोनों मजे में खेल कूद कर रहे थे। तभी खदेरन की नजर सामने से आती टीचर पर पड़ी तो अपने पोते से बोला, अबे खेलावन तेरी टीचर आ रही है। जा छुप जा।

खेलावन बोला, पहले तो आप ही छुप जाओ आपकी ही बीमारी का बहाना करके तो मैं स्‍कूल से भागा हूँ।

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शुक्रवार, 12 फ़रवरी 2010

कभी भी कुछ भी हो सकता है!

कभी भी कुछ भी हो सकता है!

विमान में नेताजी ने उड़ान के बाद घंटा भर से चालक दल को परेशान कर रखा था। कभी यह चाहिए तो कभी वह। बात-बात पर बिगड़ जाते। चीखते। चिल्लाते। विमान के अन्य यात्री भी काफी परेशान थे। पर किसी की हिम्मत नहीं हो रही थी नेता जी को कुछ बोलने की।

तभी पायलट ने एक एअर होस्टेस को बुलाकर उसके कान में कुछ कहा। थोड़ी देर के बाद उस एयरहोस्टेस ने माइक पर उद्घोषण की , देवियों और सज्जनों, हवाई जहाज के इंजन में कुछ खराबी आ गई है , कभी भी कुछ भी हो सकता है। आप सबसे निवेदन है कि आप लोग सीट-बेल्ट बांधकर प्रार्थना करें। एक और महत्वपूर्ण सूचना हमारे पास सिर्फ एक पैराशूट है। यह उसे दिया जाएगा जिसकी जिन्दगी देश के लिए बहुत कीमती है।

नेताजी उठ खड़े हुए। पैराशूट उन्हें बांधा गया और वह कूद गये।

कुछ देर बाद उद्घोषणा हुई, “अब खतरा टल गया है …… !!

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गुरुवार, 11 फ़रवरी 2010

दिमाग


दिमाग

खदेरन ने फाटक बाबू से प्रश्न किया, “अच्छा फाटक बाबू यह बताइए कि कितने प्रतिशत लड़कों के दिमाग होता है ? ”

फाटक बाबू ने प्रश्न के उत्तर में प्रश्न दाग दिया ये क्या प्रश्न हुआ । अच्छा तुम ये बताओ कि कितने प्रतिशत लड़कों की गर्लफ्रेंड होती है ? ”

खदेरन ने अपनी बुद्धि का परिचय दिया , “यही कोई 80 प्रतिशत।

फाटक बाबू मुस्कुराए, बोले तो तुम्हारे प्रश्न का जवाब सिम्पल है। 20 प्रतिशत लड़कों को दिमाग होता होता है।


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बुधवार, 10 फ़रवरी 2010

पतला करो केंद्र

पतला करो केंद्र

अखबार में चिकित्सक पोपटमल पतला करो केंद्र का विज्ञापन आया ।

वह विज्ञापन देख श्रीमती भगजोगिनी ने अपनी गुणवान पड़ोसिन श्रीमती खंजन से सलाह मांगी ।

श्रीमती भगजोगिनी , अखबार में चिकित्सक पोपटमल पतला करो केंद्र का ये विज्ञापन तुमने देखा

श्रीमती खंजन , हां

श्रीमती भगजोगिनी , कैसा है यह पतला करो केंद्र ?”

श्रीमती खंजन , वह वाला पतला करो केंद्र तो कमाल का है

श्रीमती भगजोगिनी , कमाल का है कैसे ?”

श्रीमती खंजन , वहां गारंटी है कि एक महीना तीन दिन में तुम्हारा वजन बीस किलो घट जाएगा ।

श्रीमती भगजोगिनी , एक महीना तीन दिन इसका मतलब क्या हुआ ? ”

श्रीमती खंजन , मतलब साफ है कि तुम तीन दिनों तक वहां जाओगी तो वो लोग तुमसे इतनी फीस खींच लेंगे कि महीना भर सिर्फ उबली दाल और सूखी रोटी के अलावा कुछ और पकाना अफोर्ड ही नहीं कर पाओगी ।


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