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गुरुवार, 25 फ़रवरी 2010

इंतज़ार

इंतज़ार

एक दिन श्रीमती जी ने खींजते हुए कहा, घर में जवान बेटी बैठी हुई है और तुम्हें कोई चिंता ही नहीं है।

क्यों तुम्हें क्यों ऐसा लगता है कि मुझे कोई चिंता नहीं है। पर मैं क्या करूं?

कुछ भाग-दौड़ क्यों नही करते?

कोई ढंग का लड़का मिले तब तो।

सोचो अगर मेरे पिताजी भी ढंग के लड़के का इंतज़ार करते तो तुम्हारा क्या होता?

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अगर पसंद आया तो ठहाका लगाइगा

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16 टिप्‍पणियां:

  1. हा हा!! तब तो यह भी कुँवारी ही रहतीं... :)

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  2. हा...हा...हा..हा..हा..हा..हा..
    बहुत सही
    मजेदार
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    सच में
    आप ब्लॉग दुनिया की तबस्सुम हैं

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  3. सच है अच्‍छे लड़के के चक्‍कर में तो उम्र ही निकल जाती। बढिया है।

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  4. भाई कुंवारे हो रह जाते हम तो ..... मज़ा आ गया ...

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