इंतज़ार
एक दिन श्रीमती जी ने खींजते हुए कहा, “घर में जवान बेटी बैठी हुई है और तुम्हें कोई चिंता ही नहीं है।”
“क्यों तुम्हें क्यों ऐसा लगता है कि मुझे कोई चिंता नहीं है। पर मैं क्या करूं?”
“कुछ भाग-दौड़ क्यों नही करते?”
“कोई ढंग का लड़का मिले तब तो।“
“सोचो अगर मेरे पिताजी भी ढंग के लड़के का इंतज़ार करते तो तुम्हारा क्या होता?”
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अगर पसंद आया तो ठहाका लगाइगा
हा हा!! तब तो यह भी कुँवारी ही रहतीं... :)
जवाब देंहटाएंha ha ha ha badiya..........
जवाब देंहटाएंवाह...!
जवाब देंहटाएंप्रतिदिन एक नया लतीफा!
hahaaaa , हमेशा की तरह लाजवाब ।
जवाब देंहटाएंमज़ेदार
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंvakayee badhiya hai jee
जवाब देंहटाएंहा...हा...हा..हा..हा..हा..हा..
जवाब देंहटाएंबहुत सही
मजेदार
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सच में
आप ब्लॉग दुनिया की तबस्सुम हैं
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंमजेदार
सच है अच्छे लड़के के चक्कर में तो उम्र ही निकल जाती। बढिया है।
जवाब देंहटाएंहा...हा....हा....
जवाब देंहटाएंभाई कुंवारे हो रह जाते हम तो ..... मज़ा आ गया ...
जवाब देंहटाएंहमेशा की तरह लाजवाब ।
जवाब देंहटाएंहा...हा...हा..हा..हा..हा.
जवाब देंहटाएं:) :)
जवाब देंहटाएंhappy holi.......
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