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शुक्रवार, 5 फ़रवरी 2010

डिनर



डिनर

एक दिन श्रीमान जी सुबह-सुबह डायनिंग टेबुल पर बैठे खा रहे थे। तभी बाहर से आवाज लगाते हुए फाटक बाबू घुसे, सर जी कहां हैं? क्या कर रहे हैं?

श्रीमान जी बोले, “डायनिंग रूम में हूँ। डिनर खा रहा हूँ।”

फाटक बाबू डायनिंग रूम तक पहुंच गये। श्रीमान जी को अचरज से देखते हुए बोले, सर जी मौर्निन्ग टाइम ... ब्रेकफास्ट……. बोलिये ...! डिनर तो रात के खाने को कहते हैं।

श्रीमान जी झल्लाते हुए बोले इतनी अंग्रेजी मुझे भी आती है भाई। जब रात का बचा खाना सुबह नाश्ते में मिले तो उसे तो मैं तो यही कहूँगा ना कि डिनर खा रहा हूँ...!!!

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अगर पसंद आया तो ठहाका लगाइगा

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20 टिप्‍पणियां:

  1. ha ha ha ha .............
    aaj badee prateeksha karaee aapne...........

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  2. हा हा हा हा हाहा हहा हा हा हा ...सचमुच आज बड़ा इंतज़ार करवाया.... आपने.... पढ़ कर मज़ा आ गया,,,,

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  3. अजी फ्रिज के कारण इतनी तो सुविधा है ही फिर बुरा क्यों मनाएं I

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  4. बेहद रोचक और मार्मिक व्यंग्य है।
    हंसूं ...?
    हंस लेता हूं। डायनिंग टेबुल पर तो वही होता है जो आपने लिखा है।
    हा-हा-हा-हा ...

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  5. बेचारे फाटक बाबू ...
    अच्छे चुटकुले ढूंढ कर लाती हैं आप और सुबह सुबह हंसाने का पुण्य कार्य आपको बहुत लाभ दे ...:):)

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  6. हा हा हा हा

    हमारे छत्तीसगढ़ में तो प्रायः हर सुबह डिनर लेते हैं क्योंकि यहाँ 'बासी' खाने का रिवाज है।

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  7. Bahut majedar...hi..hi..hi..

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    शब्द-शिखर पर इस बार काला-पानी कहे जाने वाले "सेलुलर जेल" की यात्रा करें और अपने भावों से परिचित भी कराएँ.

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