@ शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' मैं कई दिनों से सोच रही थी कि एक पोस्ट लगाकर इस बात का ज़िक्र करूं। आपने आज पूछ ही लिया तो बताती चलूँ। बार-बार चिटठा चर्चा और चर्चा मंच में इस ब्लॉग का ज़िक्र आने और कुछ प्रशंसकों की टिप्पणियों से मुझे यह संदेह होने लगा था कि कहीं लोग इसे मेरी रचना तो नहीं मान रहे। मैंने अपने पहले ही पोस्ट में कहा था कि मैं एक घरेलु महिला हूं और हंसने और हंसाने में विश्वास रखती हूं। इसलिए कहीं से भी हंसाने का वाक़या मिलेगा प्रस्तुत करूंगी। लोगों द्वारा सुनाए गए चुटकुले या पत्र-पत्रिकाओं में पढे चुटकुले सहेज कर रखने की आदत थी सो कलेक्शन बढता गया। हां कभी-कभी उसमें अपने आस-पास हुए घटना क्रम भी जुट गया। ज़्यादातर तो उनके साथ हुए नोंक-झोंक के क्षण ही हैं। हां उन चुटकुलों को प्रस्तुत करने का अंदाज़ थोडा अपना है ताकि हास्य का सृजन बेहतर ढंग से हो। मेरा उद्देश्य बस इतना है कि लोगों के तनाव भरे जीवन में एक-आध पल हंसी के बांट सकूं। यदि इसके बीच कोई कॉपी राइट वाली बात आती है तो फिर यह सिलसिला बंद कर देना ही बेहतर होगा।
हा हा!! जय माता दी!!
जवाब देंहटाएंha ha ha ha ha ...........
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा-हा .....
जवाब देंहटाएंमैं नहीं सुणया,,,
जवाब देंहटाएंजय माता दी...
जय हिंद...
ha ha ha ha
जवाब देंहटाएंजय माता दी
जवाब देंहटाएं..............
majedar hai
जवाब देंहटाएंha ha ha ha ha ha ha ha ha
ha ha ha ha.....
जवाब देंहटाएंJay mata di....
he he he he.....
jay mata di.....
jor se bolo,
jay mata di..... !!!
धार्मिक बच्चा , हा हा हा हा
जवाब देंहटाएंha .. ha ... jai maata di ...
जवाब देंहटाएंबालक वास्तव में ही सुसंस्कृत है .
जवाब देंहटाएंशाबाश!
सविता जी, आदाब
जवाब देंहटाएंएक राज़ की बात तो बताईये
ये हंसने हंसाने के नये नये आइडिये
रोज़ रोज़ कहां से सूझते हैं आपकों???
@ शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद''
जवाब देंहटाएंमैं कई दिनों से सोच रही थी कि एक पोस्ट लगाकर इस बात का ज़िक्र करूं। आपने आज पूछ ही लिया तो बताती चलूँ। बार-बार चिटठा चर्चा और चर्चा मंच में इस ब्लॉग का ज़िक्र आने और कुछ प्रशंसकों की टिप्पणियों से मुझे यह संदेह होने लगा था कि कहीं लोग इसे मेरी रचना तो नहीं मान रहे। मैंने अपने पहले ही पोस्ट में कहा था कि मैं एक घरेलु महिला हूं और हंसने और हंसाने में विश्वास रखती हूं। इसलिए कहीं से भी हंसाने का वाक़या मिलेगा प्रस्तुत करूंगी। लोगों द्वारा सुनाए गए चुटकुले या पत्र-पत्रिकाओं में पढे चुटकुले सहेज कर रखने की आदत थी सो कलेक्शन बढता गया। हां कभी-कभी उसमें अपने आस-पास हुए घटना क्रम भी जुट गया। ज़्यादातर तो उनके साथ हुए नोंक-झोंक के क्षण ही हैं। हां उन चुटकुलों को प्रस्तुत करने का अंदाज़ थोडा अपना है ताकि हास्य का सृजन बेहतर ढंग से हो। मेरा उद्देश्य बस इतना है कि लोगों के तनाव भरे जीवन में एक-आध पल हंसी के बांट सकूं। यदि इसके बीच कोई कॉपी राइट वाली बात आती है तो फिर यह सिलसिला बंद कर देना ही बेहतर होगा।
ha...ha...ha...
जवाब देंहटाएंhahhahahahahahahahaha ZOR SE BOLO JAI MATA DI bahut khoob
जवाब देंहटाएंहा...हा...हा...
जवाब देंहटाएंहँसी आ ही गई!
जवाब देंहटाएं.
जवाब देंहटाएं.
.
बस्स, इतने ठहाके लगवाना अच्छा नहीं,
मैं कुछ खाते-खाते पढ़ रहा था इसे...और जान जाते जाते बची।
hahahahahahahahahahahahahahahaha
जवाब देंहटाएंजोर से बोलो जय माता दी.....
hahahahahaha
कॉपी राईट का मसला आएगा तो बंद कर दिजिएगा. तब तक क्या प्रॉरब्लम है....हंसाते रहिए...
jai mata di....
जवाब देंहटाएं