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रविवार, 14 फ़रवरी 2010

भुलक्कर

कोर्ट में हत्या के एक मुकदमे की सुनवाई चल रही थी। चश्मदीद गवाह को कठघरे में बुलाया गया।

वकील : भूलन भाई भगोरे की मौत होते हुए तुम ने देखा ?

गवाह : हाँ हुज़ूर !

वकील : बताओ ! भूलन भाई की मौत कैसे हुई ?

गवाह : अब का बताएं हजूर ! जैसा उसका नाम था, वैसा ही काम। बहुत भुलक्कर था। सब कुछ ठीक ही चल रहा था मगर वो तो सांस लेना ही भूल गया!

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