उस दिन खदेरन बहुत दुखी था। हर तरफ़ से निराशा उसके हाथ लगी थी। निराशा की पराकाष्ठा की स्थिति में उसके मुंह से निकला, “ऐसी ज़िन्दगी से तो मौत अच्छी।”
अचानक वहां यमदूत प्रकट हुआ और अट्टहास करने लगा, “हा-हा-हा-हा…”
खदेरन ने उसकी ओर देखा और पूछा, “तुम कौन और क्या लेने आए हो?”
“मैं यम दूत और तुम्हारी जान लेने आया हूं।”
“क्यों?”
“अभी तो तुमने कहा था ‘ऐसी ज़िन्दगी से तो मौत अच्छी’ …।”
“लो कर लो बात! अब दुखी आदमी मज़ाक़ भी नहीं कर सकता।”
सच कहा आपने, दुखी आदमी तो कुछ भी कर सकता है।
जवाब देंहटाएंदुःख में मजाक भी न कर सके तो वैसे ही मर जाएंगे .. हा हा ...
जवाब देंहटाएंखुद गाओ खुद ही सुनो, नहीं बजाओ साज।
जवाब देंहटाएंगर मज़ाक दुख में किया, धमकाये यमराज॥
:))))))
सादर...
बहुत बढ़िया:-)
जवाब देंहटाएंशायद दु:खी आदमी को मजाक मजाक नहीं होता ..
जवाब देंहटाएंबढ़िया हास्यफुहार
:-)
जवाब देंहटाएंहा हा हा बहुत बढ़िया ....
जवाब देंहटाएंबड़ा ही सीरियस मज़ाक था. बाल-बाल बचा खदेरन.
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