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शुक्रवार, 30 सितंबर 2011
शुक्रवार, 16 सितंबर 2011
मौखिक परीक्षा
भगावन प्रैक्टिकल की परीक्षा से रहा था।
वायवा (मौखिक परीक्षा) में शिक्षक ने पूछा, “यह पक्षी की टांग है। इसे देखो और बताओ इस पक्षी का नाम क्या है?”
भगावन ने कहा, “मुझे नहीं मालूम।”
शिक्षक ने ताने वाले लहजे में कहा, “तुम फ़ेल हो गये। क्या नाम है तुम्हारा?”
भगावन ने जवाब दिया, “ये मेरी टांग है। इसे देखो! और खु़द ही मेरा नाम जान लो!!”
गुरुवार, 15 सितंबर 2011
नाटक
नाटक
दृश्य एक
प्रेमी, प्रेमिका बाग में। शाम का पहला पहर।
प्रेमिका : चांद कितने होते हैं ?
प्रेमी : एक तुम और एक ऊपर !
दृश्य परिवर्तन।
शादी के बाद। ड्राइंग रूम में …
पत्नी : चांद कितने होते हैं ?
पति : अंधी हो क्या, ऊपर क्या वह तुम्हें खरबूजा नज़र आ रहा है ? !
(पटाक्षेप अभी नहीं हुआ है, नाटक अभी ज़ारी है …)
मंगलवार, 13 सितंबर 2011
शुक्रवार, 2 सितंबर 2011
गुरुवार, 1 सितंबर 2011
गिरफ़्तारी
वह घबराया हुआ थाने पहुंचा और थानेदार से बोला, “मुझे गिरफ़्तार कर लीजिए इंस्पेक्टर साहब! मैंने अपनी पत्नी के सिर पर डंडा मारा है।”
इंस्पेक्टर ने कोई एक्शन लेने से पहले तफ़्तीश करना ज़रूरी समझा, “तो क्या वह मर गई?”
उसने जवाब दिया, “नहीं, वह डंडा लेकर मेरे पीछे आ रही है।”