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शुक्रवार, 11 नवंबर 2011

सबूत

जज : क्या सबूत है कि तुम गाड़ी स्पीड में नहीं चला रहे थे।

खदेरन : माई-बाप! मैं फुलमतिया जी को लाने ससुराल जा रहा था।

 

एक गम्भीर दृष्टि खदेरन पर डालते हुए जज ने फैसला सुनाया :

परिस्थिति-जन्य साक्ष्य के आधार पर अभियुक्त पर लगाया गया इलज़ाम साबित नहीं होता इसलिए केस डिसमिस!

13 टिप्‍पणियां:

  1. हाँ, छोड़ने जाता तो स्पीड चला भी सकता था। हा... हा... हा... !

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  2. :) वाकई छोड़ जाता तो स्पीड में हो भी सकता था बढ़िया प्रस्तुती
    समय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है

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  3. बहुत सुन्दर. बधाई.


    कृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें, अपनी प्रतिक्रया दें.

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  4. संभव ही नहीं है .. ऐसे हालात में तेज गाडी चलाना

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