जज : क्या सबूत है कि तुम गाड़ी स्पीड में नहीं चला रहे थे।
खदेरन : माई-बाप! मैं फुलमतिया जी को लाने ससुराल जा रहा था।
एक गम्भीर दृष्टि खदेरन पर डालते हुए जज ने फैसला सुनाया :
परिस्थिति-जन्य साक्ष्य के आधार पर अभियुक्त पर लगाया गया इलज़ाम साबित नहीं होता इसलिए केस डिसमिस!
हाँ, छोड़ने जाता तो स्पीड चला भी सकता था। हा... हा... हा... !
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जवाब देंहटाएं:) वाकई छोड़ जाता तो स्पीड में हो भी सकता था बढ़िया प्रस्तुती
जवाब देंहटाएंसमय मिले कभी तो आयेगा मेरी पोस्ट पर आपका स्वागत है
सोचा समझा निर्णय।
जवाब देंहटाएंअच्छा है.
जवाब देंहटाएंkyu na ye decision dete aakhir vo bhi to bhukt-bhogi hain.
जवाब देंहटाएंअल्टीमेट!!!!
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर. बधाई.
जवाब देंहटाएंकृपया मेरे ब्लॉग पर भी पधारें, अपनी प्रतिक्रया दें.
:-) Sahi hai...
जवाब देंहटाएंहाहाहा...
जवाब देंहटाएंमज़ेदार!
संभव ही नहीं है .. ऐसे हालात में तेज गाडी चलाना
जवाब देंहटाएंhahahahahahah..........waha bahut khub
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर प्रस्तुति..आभार
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