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रविवार, 25 दिसंबर 2011

असल की ज़िन्दगी

एक दिन फाटक बाबू और खदेरन टीवी पर सिनेमा देख रहे थे। फ़िल्म का अंत देख कर interviewखदेरन बहुत भावुक हो गया। उसकी आंख से टप-टप आंसू गिरने लगे।

फाटक बाबू बोले, “अरे खदेरन रोता क्यों है? यह कोई असल की ज़िन्दगी थोड़े है। यह तो फ़िल्म है।”

खदेरन ने आंसू पोछते हुए कहा, “अच्छा। फाटक बाबू! फ़िल्मी ज़िन्दगी और असल की ज़िन्दगी में क्या फ़र्क़ होता है?”

फाटक बाबू ने बताया, “फ़िल्मों में बहुत मुश्किलों के बाद शादी होती है, और असली ज़िन्दगी में तो शादी के बाद मुश्किलें पता चलती हैं।”

शुक्रवार, 23 दिसंबर 2011

लड़ाई सीट के लिए

thumbखदेरन बस में जा रहा था।

उसके बगल की सीट खाली थी।

एक स्टॉप पर दो लड़कियां चढ़ीं। उस पर बैठने के लिए दोनों लड़ने लगीं। काफ़ी देर तक लड़ती रहीं। खदेरन ने कहा, “क्यों लड़ रही हो दोनों। जो तुम दोनों में बड़ी हो, वह बैठ जाए।”

लड़ाई बन्द हो गई। सारे रास्ते दोनों खड़ी रहीं।

रविवार, 18 दिसंबर 2011

शरारत

खदेरन के बेटे भगावन को स्कूल में शरारत करते देख उसकी क्लास टीचर, मिस गुनगुनिया डांटते हुए बोली, “जब मैं तुम्हारी उम्र की थी तो इतनी शरारत नहीं करती थी।”

भगावन ने पूछा, “तो मैम, आपने शरारत कब शुरु की ?”

शनिवार, 17 दिसंबर 2011

रेड हॉट मारुती

बात इस बार भी उन्हीं दिनों की है, जब खदेरन और फुलमतिया जी की शादी नहीं हुई थी, पर उनके बीच कुछ-कुछ हो रहा था।

फुलमतिया जी के जन्मदिन के अवसर पर खदेरन उनके घर गया। बोला, “जन्मदिन की ढेरों बधाईयां, शुभकामनाएं।”

फुलमतिया जी ने कहा, “वो सब तो ठीक है, पर मेरा बर्थ डे गिफ़्ट … वो कहां है, क्या है?”

खदेरन ने बाहर की ओर इशारा करते हुए कहा, “देखिए, बाहर देखिए! वह जो रेड हॉट मारुती खड़ी है न …”

फुलमतिया जी ख़ुशी से उछल पड़ीं। बोलीं, “सच …!”

खदेरन बोला, “बिलकुल उसी कलर की नेल पॉलिश ली है आपके लिए।” और खदेरन ने जेब से नेलपॉलिश निकालकर फुलमतिया जी के सामने रख दी।

शुक्रवार, 16 दिसंबर 2011

बैलेंस चेक

एटीएम के पास एक महिला ने खदेरन से कहा : "ए भाई! जरा हमरा बैलेंस चेक कर दो।"

खदेरन ने औरत को धक्का दे दिया...!

बेचारी औरत गिर गयी.... "कोढिया, सरधुआ.....!"

खदेरन - "माई तोहार बैलेंस गड़बड़ बा.... देहियो के आ दिमागो के...!"

बुधवार, 14 दिसंबर 2011

सच्चा प्यार

images (27)बात उन दिनों की है जब फुलमतिया जी और खदेरन की शादी तो नहीं हुई थी लेकिन कुछ-कुछ हो रहा था दोनों के बीच में।

एक दिन खदेरन ने सुना कि किसी बड़े अभिनेता ने अपने बाजुओं पर प्रेमिका का नाम खुदवा लिया। खदेरन ने जोश में आकर कहा, “फुलमतिया जी! आप बताइए मैं आपका नाम हाथ पर लिखवाऊं या दिल पर!”

फुलमतिया जी ने पूछा, “सच्चा प्यार करते हो मुझसे?”

खदेरन ने कहा, “इसमें कोई शक है क्या?”

फुलमतिया जी ने जवाब दिया, “तो सीधे अपनी प्रोपर्टी के पेपर पर लिखो!”

मंगलवार, 6 दिसंबर 2011

चित्र का शीर्षक क्या हो?

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मेरा शीर्षक …

हम छोड़ चले हैं …