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रविवार, 25 दिसंबर 2011

असल की ज़िन्दगी

एक दिन फाटक बाबू और खदेरन टीवी पर सिनेमा देख रहे थे। फ़िल्म का अंत देख कर interviewखदेरन बहुत भावुक हो गया। उसकी आंख से टप-टप आंसू गिरने लगे।

फाटक बाबू बोले, “अरे खदेरन रोता क्यों है? यह कोई असल की ज़िन्दगी थोड़े है। यह तो फ़िल्म है।”

खदेरन ने आंसू पोछते हुए कहा, “अच्छा। फाटक बाबू! फ़िल्मी ज़िन्दगी और असल की ज़िन्दगी में क्या फ़र्क़ होता है?”

फाटक बाबू ने बताया, “फ़िल्मों में बहुत मुश्किलों के बाद शादी होती है, और असली ज़िन्दगी में तो शादी के बाद मुश्किलें पता चलती हैं।”

13 टिप्‍पणियां:

  1. फ़िल्मी परदे पर शादी के बाद " The End" का बोर्ड लग जाता है परन्तु वास्तविक जिंदगी में शादी के बाद " End of the Life " होता है. क्यों खरेदन ?

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  2. बहुत सुंदर रचना,...अच्छी प्रस्तुती,
    क्रिसमस की बहुत२ शुभकामनाए.....

    मेरे पोस्ट के लिए--"काव्यान्जलि"--बेटी और पेड़-- मे click करे

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  3. ऐसे सच्चे चुकुले पर टिप्पणी कठिन है. आपको और परिवारजनों को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ.

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  4. आपको नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं!!!

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  5. आपको नव वर्ष की बधाई.....अपन क्या कहें.....क्योकि दूसरों पर आई मुसीबत पर हंसना नहीं चाहिए.....

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