किताबे ग़म में ख़ुशी का ठिकाना ढ़ूंढ़ो, अगर जीना है तो हंसी का बहाना ढ़ूंढ़ो।
वकील, ‘तलाक करवाने के पांच हजार रुपए लगेंगे।’
मुवक्किल, ‘कैसी बात कर रहे हैं वकील साहब, पंडित जी ने शादी तो 51 रुपए में करवा दी थी!’
वकील, ‘सस्ते काम का नतीजा देख लिया न?’
महंगा रोये एक बार सस्ता रोये बार बार हा हा ..
मज़ेदार!हा-हा-हा ....
हा हा।
देख लिया जी, बिल्कुल देख लिया ।
सस्ती और टिकाऊ... फ़ैशन के युग में किसी की गारण्टी नहीं!!
vaah bhaai mzaa aa gyaa. akhtar khan akela kota rajsthan
खूब कही.
Bahut sundar.---------पैरों तले जमीन खिसक जाए!क्या इससे मर्दानगी कम हो जाती है ?
मुव्वकिल: काश ! पंडित तलाक भी करवा सकते होते .
सार्थक प्रस्तुति, बधाईयाँ !
महंगा रोये एक बार सस्ता रोये बार बार हा हा ..
जवाब देंहटाएंमज़ेदार!
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा ....
हा हा।
जवाब देंहटाएंदेख लिया जी, बिल्कुल देख लिया ।
जवाब देंहटाएंसस्ती और टिकाऊ... फ़ैशन के युग में किसी की गारण्टी नहीं!!
जवाब देंहटाएंvaah bhaai mzaa aa gyaa. akhtar khan akela kota rajsthan
जवाब देंहटाएंखूब कही.
जवाब देंहटाएंBahut sundar.
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पैरों तले जमीन खिसक जाए!
क्या इससे मर्दानगी कम हो जाती है ?
मुव्वकिल: काश ! पंडित तलाक भी करवा सकते होते .
जवाब देंहटाएंसार्थक प्रस्तुति, बधाईयाँ !
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