खदेरन पर फुलमतिया जी के मायके चले जाने की धमकी का भी कोई असर नहीं हुआ। बल्कि उल्टे खदेरन ने टके सा जवाब दे दिया। इस पर फुलमतिया जी का पारा सातवें आसमान पर चढ गया। उनको इस कदर चीखते-चिल्लाते देख खदेरन को बेहद आश्चर्य हो रहा था। बोला, “शादी के बाद पहले साल आप मुझे चंद्रमुखी लगी थीं। दूसरे साल सूरज मुखी लगी थीं और आज तो एक दम ज्वालामुखी नज़र आ रही हैं।”
यह सुन अपना मुंह बिचकाते हुए फुलमतिया जी बोलीं, “…. और तुम पहले साल मुझे पाणनाथ नज़र आए थे, दूसरे साल सिर्फ़ नाथ नज़र आए थे और आज तो एकदम अनाथ लग रहे हो। समझे?”
नहले पर दहला ...:)
जवाब देंहटाएंखदेरन : हाय ! हाय ! पहले तुने प्राण पिये मेरे ,तो बनाया 'नाथ'
जवाब देंहटाएंअब 'अनाथ' बनाके क्यूँ छोडती हो मेरा साथ.आखिर तुम्ही
तो हो मेरी नाथो की नाथ ,प्रिये इस महिला दिवस पर.
बाप रे बाप।
जवाब देंहटाएंHahhahah........
जवाब देंहटाएंisi liye to ham shadi nahi kar rahe hain...
bich me anath hone se kya fayada..
Ap hamre blogg par bhi aaye...
Hame khusi hogi...
ha khaderan ko bhi sath laiyega.:):):)
मज़ेदार!
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा...
सही फटकारा...
जवाब देंहटाएंअद्भुत समर्पण भाव है!!
जवाब देंहटाएंpati patni ka pyar:D
जवाब देंहटाएंKya baat hai ... anaath ...
जवाब देंहटाएंkyaa baat kai, ati-sundar haasya
जवाब देंहटाएंनिरामिष: शाकाहार : दयालु मानसिकता प्रेरक
nice
जवाब देंहटाएं