उसे प्रचार पाने की बड़ी तमन्ना थी। उसने चिन्तन मनन किया कि क्या किया जाए।
उसे उपाय सूझ गया।
उसने घोषणा की कि वह कुतुब मीनार को सिर पर उठाकर मुंबई ले जाएगा।
बात चारों ओर फैल गई। मीडिया वाले भी आ गए। वह चर्चा में था। नियत दिन और नियत समय भी आ गया। लोगों ने कहा अब शुरु हो जाओ।
उसने कहा, “जी अभी शुरु कर देता हूं, ज़रा इसे उठा कर मेरे सिर पर रखने में कोई मेरी सहायता तो करो।”
आ हा हा हा…………सही तो कहा।
जवाब देंहटाएंKabhi na suna gaya. behatareen ! bahut sundar !!
जवाब देंहटाएंब्लॉगर्स मीट वीकली में आप सादर आमंत्रित हैं।
जवाब देंहटाएंबेहतर है कि ब्लॉगर्स मीट ब्लॉग पर आयोजित हुआ करे ताकि सारी दुनिया के कोने कोने से ब्लॉगर्स एक मंच पर जमा हो सकें और विश्व को सही दिशा देने के लिए अपने विचार आपस में साझा कर सकें। इसमें बिना किसी भेदभाव के हरेक आय और हरेक आयु के ब्लॉगर्स सम्मानपूर्वक शामिल हो सकते हैं। ब्लॉग पर आयोजित होने वाली मीट में वे ब्लॉगर्स भी आ सकती हैं / आ सकते हैं जो कि किसी वजह से अजनबियों से रू ब रू नहीं होना चाहते।
ला-जवाब" जबर्दस्त!!
जवाब देंहटाएंसहायता की जाय भाई!
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएंमज़ेदार!
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा ...
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जवाब देंहटाएंउस व्यक्ति को पब्लिसिटी मिली और सनसनी ढूँढते मीडिया को ज़लालत क्योंकि वह देश को उठाने की बात करता है परंतु कुतबमीनार जैसी हल्की चीज़ उठा कर उसके सिर पर न रख सका :))
जवाब देंहटाएंmujhe kaha to hota...........
जवाब देंहटाएंmujhe bhi prachar mil jata...ha.ha.ha.
बात में तो दम है।
जवाब देंहटाएंजो घर जारे आपना, चले हमारे संग!!
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