ऐसी हलकी फुलकी नोक झोक रिश्तो में मधुरता बनाये रखती है. यदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो कृपया मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक आलेख हेतु पढ़ें अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html
आपका ब्लॉग बहुत अच्छा है, और चुटकुला भी, बधाई स्वीकारें !
जवाब देंहटाएंवाह, अब डायरी छोड़ किताब लिख रहे हैं।
जवाब देंहटाएंचित्र खदेरन लायक नहीं लग पाया है। किताब हो डायरी, सबसे अच्छा है कि लिखने-पढ़ने का काम ही बन्द कर दें और इन सब से मुक्त।
जवाब देंहटाएंएक साल तक झेलना!!!!! ओ माई गोड!!किताब तो घंटे भर में पढकर आलमारी में सजा डी जाती है.. कभी कभार रेफरेंस के लिए निकाल लीजिए!!
जवाब देंहटाएंऐसे उत्तर से खदेरन के गाल पर पुस्तक का एक पन्ना छप गया होगा....तड़ाक्.
जवाब देंहटाएंऐसी हलकी फुलकी नोक झोक रिश्तो में मधुरता बनाये रखती है.
जवाब देंहटाएंयदि मीडिया और ब्लॉग जगत में अन्ना हजारे के समाचारों की एकरसता से ऊब गए हों तो कृपया मन को झकझोरने वाले मौलिक, विचारोत्तेजक आलेख हेतु पढ़ें
अन्ना हजारे के बहाने ...... आत्म मंथन http://sachin-why-bharat-ratna.blogspot.com/2011/08/blog-post_24.html
फुलमतिया और खदेरन नाम प्रेमचंद की कहानियों के पात्रों के जैसे नाम नहीं है ? क्या वे " किताब " और " डायरी " के अर्थ समझते होंगे ?
जवाब देंहटाएं