किताबे ग़म में ख़ुशी का ठिकाना ढ़ूंढ़ो, अगर जीना है तो हंसी का बहाना ढ़ूंढ़ो।
मेरा शीर्षक ::
जान बची तो लाखों उपाय,
लौट के ‘..…’ घर को आए!
चित्र नहीं चलचित्र है ये ...
कुत्ता निकल गया, पूँछ फँस गई.....टेढ़ी जो थी.
कहाँ फँस गये?
ये चित्र नहीं चलचित्र है | फिर भी यदि शीर्षक देना हो तो -हिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती...
जान और जद्दोजहत
shandar galeeche wale susajjit kaksh me 'kutton' ko entry aise hi mil sakti hai.
धत्त्ते रे की।पूंछ ही फंस जाती है।
aapke ghar me lagta hai ghus aaya hai...ab apni jaan bachaoooooooooha.ha.ha.
dhat, fir fans gaye
पुनर्जन्म
dhyan se........girna mna hai
चित्र नहीं चलचित्र है ये ...
जवाब देंहटाएंकुत्ता निकल गया, पूँछ फँस गई.....टेढ़ी जो थी.
जवाब देंहटाएंकहाँ फँस गये?
जवाब देंहटाएंये चित्र नहीं चलचित्र है | फिर भी यदि शीर्षक देना हो तो -
जवाब देंहटाएंहिम्मत करने वालों की कभी हार नहीं होती...
जान और जद्दोजहत
जवाब देंहटाएंshandar galeeche wale susajjit kaksh me 'kutton' ko entry aise hi mil sakti hai.
जवाब देंहटाएंधत्त्ते रे की।
जवाब देंहटाएंपूंछ ही फंस जाती है।
aapke ghar me lagta hai ghus aaya hai...ab apni jaan bachaooooooooo
जवाब देंहटाएंha.ha.ha.
dhat, fir fans gaye
जवाब देंहटाएंपुनर्जन्म
जवाब देंहटाएंdhyan se........girna mna hai
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