खदेरन अपने घर की खिटिर-पिटिर से परेशान था। किसी तरह शान्ति बहाल हो इस इरादे से फाटक बाबू के पास पहुंचा और पूछ, “फाटक बाबू आपके सुखी और शान्तिपूर्ण वैवाहिक जीवन का क्या राज़ है? कुछ हमें भी बताइए।”
फाटक बाबू ने बताया, “कुछ नहें खदेरन! बहुत सिम्पल है!! हमारे बीच शादी होते ही एक समझौता हो गया था।”
खदेरन ने उत्सुकता से पूछा, “क्या समझौता फाटक बाबू?”
फाटक बाबू ने बताया, “यही कि घर के छोटे-मोटे निर्णय खंजन देवी लेंगी और बड़े-बड़े मसले पर मेरी राय अंतिम होगी। और तब से हम इसे पूरी तरह पालन कर रहे हैं।”
खदेरन ने कहा, “कुछ उदाहरण देकर समझाइए न फाटक बाबू।”
फाटक बाबू ने समझाया, “अरे खदेरन, घर के फैसले – जो खंजन देवी लेती हैं वो ऐसे हैं – जैसे – क्या और कौन-सी चीज़ ख़रीदनी है, घर का बजट कैसे बनाना है, किस मद में कितना ख़र्च करना है, किस रिश्तेदार को कौन सा गिफ़्ट देना है, कहां जाना है, कहां नहीं जाना है, कहां इन्वेस्ट करना है, किसे बुलाना है , किसे मेड रखना है, आदि-आदि …”
खदेरन ने आश्चर्य से पूछा, “अच्छा और वो बड़े-बड़े फैसले कौन से होते हैं जो आप लेते हैं?”
फाटक बाबू ने बताया, “यही कि सचिन को कब रिटयरमेंट लेना चाहिए, अमेरिका से हमें क्या समझौता करना चाहिए, भारत को परमाणु बनाना चाहिए या नहीं, कालाधन कैसे वापस लाना चाहिए, भ्रष्टाचार मिटाने के लिए क्या कदम उठाए जाने चाहिए ….!”
फाटक बाबू का दिमाग फाटक हो गया लगता है। अब सोचने लगे हैं जी!
जवाब देंहटाएंवाह वाह वाह वाह.........।
जवाब देंहटाएंhamare ghar me bhi aisa hi hai:D
जवाब देंहटाएंक्या बात है... वाह
जवाब देंहटाएंखंजन देवी का समझौता पड़ने के बाद फाटक बाबू उठता नहीं उठ जाता है, घर से :))
जवाब देंहटाएंबहुत खूब कही. एक अच्छा चुटकला. आभार !
जवाब देंहटाएंयहाँ आने में देरी हुआ, मगर फेसबुक पर पढकर आनंद ले चुके थे!!
जवाब देंहटाएंमज़ेदार !
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा ...
अब तो हम भी आज से सिर्फ़ बड़े फैसले ही लेंगे।
हमारे यहाँ भी यही हाल है।
जवाब देंहटाएंवाह भाई वाह...
जवाब देंहटाएंइन बड़े कामों का क्या कहना !
अरे वाह!!
जवाब देंहटाएंjai ho Fatak baba ki;;;;;;
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