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सोमवार, 11 जनवरी 2010

बर्तन मांजते वक़्त

बर्तन मांजते वक़्त

दो पति आपस में मिले।

हाल-चाल जानने का क्रम शुरू हुआ।

पहला बोला, ठंढ बहुत बढ़ गई है। मेरी तो शामत आ गई है। सुबह-सुबह बर्तन मांजते वक़्त हाथ ठं से बिलकुल जकड़ जाता है।

दूसरा बोला , मुझे तो वह पानी गरम करके दे देती है। इस समस्या से मुक्त हूं।

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अगर पसंद आया तो ठहाका लगाइगा

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25 टिप्‍पणियां:

  1. लगता है इन पतियों ने ही मेरी पोस्ट के पत्नियों को समझने के Ten Commandments ठीक तरह से पढ़े हैं...

    http://deshnama.blogspot.com/2010/01/10-commandments.html

    जय हिंद...

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  2. बेचारे....हमें उसने सेवाओं से खुश हो डिश वाशर लगवा दिया है!! :)

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  3. अरे बाप रे .. मैं अभी तक ब्लॉग से ही लिपटा हूं ... अरे बाप रे बाप ... बहुत से काम निपटाने हैं.. फिर आऊंगा टिप्प ... ठहाके लगाने ... अभी तो धिग्गी बंधी है ... हा-हा-हा-हा ..

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  4. haaaaaaaa haaaaaaaaaaaa haaaaaaaaaaa are hanss ruk hee nahee rahee .

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  5. और हाँ आप पानी जरुर गर्म करके दीजियेगा! क्यूंकि ठण्ड का हाल समझता है वही जिसके हाथ बर्तनों में होते हैं !!!

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  6. मेरी पत्नी भी पानी गर्म के देती है ...... हा ... हा .... मज़ा आ गया ........

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  7. पसंद तो आना ही था बात जो इतनी अच्छी कही है.वैसे दिल बहलाने को ख्याल बुरा नहीं है

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  8. हा... हा... हा...
    बहुत सुंदर रचना है।


    द्वीपांतर परिवार की ओर से लोहड़ी एवं मकर सकांति पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं।

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  9. निश्चय ही दूसरी वाली इतना तो ध्यान रखती है. पति को अपने आपको धन्य समझना चाहिए .

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  10. ha,,,ha,,ha,,ha

    बेचारे , सावित्री के सताए :)

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  11. आपने सिद्ध कर दिया कि भारतीय पत्नियों में अभी भी संवेदनशीलता नामक गुण मिलता है.

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  12. हा -हा -हा-

    पति (पत्नी से) - चलो आज किसी होटल में खाना खाते हैं।
    पत्नी - क्या मेरे हाथ का बना खाते खाते मूड आफ हो गया है?
    पति - नहीं आज बर्तन धोने का मूड नहीं है।

    सादर
    श्यामल सुमन
    09955373288
    www.manoramsuman.blogspot.com

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  13. हा... हा... हा...
    बहुत सुंदर रचना है।

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