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बुधवार, 20 जनवरी 2010

दीर्घायु भव

दीर्घायु भव

फाटक बाबू फटेहाल अवस्था में इधर-उधर भटक रहे थे। तभी उन्हें बुझावन पण्डित व ज्योतिष दिखे। उनकी जान में जान आ गई। दौड़े- दौड़े उनके पास पहुंचे। बोले, पंडित जी मुझे घर व दफ्तर दोनों ही जगह शांति नहीं है। कुछ आशीर्वाद दीजिए।

बुझावन पण्डित व ज्योतिष ने पूछा, क्यूं क्या हुआ? घर में क्या हाल है?

फाटक बाबू ने दुखड़ा सुनाया, क्या बताऊं? पत्नी से घर में रोज़ चक-चक होती रहती है।

जवाब सुन बुझावन पण्डित व ज्योतिष ने पूछा, और फिर ऑफिस में..?

फाटक बाबू ने बताया, आफ़िस में भी चैन नहीं है। वहां सुबह से शाम तक बॉस की बक-बक सुननी पड़ती है।

उसे ऊपर से नीचे तक देखते हुए ज्योतिष ने आशीर्वाद दिया, दीर्घायु भव!!!

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अगर पसंद आया तो ठहाका लगाइगा

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11 टिप्‍पणियां:

  1. हा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हः हा हा हा हा ....... सच!..... आपके ब्लॉग पर सुबह- सुबह आ कर दिन बन जाता है..... और फिर पूरा दिन अच्छा जाता है........

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  2. हा हा हा हा हा हा हा हा


    बसंत पंचमी की शुभकामनाएं

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  3. मज़ेदार ... शानदार ... हा... हा....हा.... हा.... हा.... हा... हा.... !!!

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  4. हा हा हा हा हा हा हा हा


    बसंत पंचमी की शुभकामनाएं

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