दीर्घायु भव
फाटक बाबू फटेहाल अवस्था में इधर-उधर भटक रहे थे। तभी उन्हें बुझावन पण्डित व ज्योतिष दिखे। उनकी जान में जान आ गई। दौड़े- दौड़े उनके पास पहुंचे। बोले, “पंडित जी मुझे घर व दफ्तर दोनों ही जगह शांति नहीं है। कुछ आशीर्वाद दीजिए।”
बुझावन पण्डित व ज्योतिष ने पूछा, “क्यूं क्या हुआ? घर में क्या हाल है?”
फाटक बाबू ने दुखड़ा सुनाया, “क्या बताऊं? पत्नी से घर में रोज़ चक-चक होती रहती है।”
जवाब सुन बुझावन पण्डित व ज्योतिष ने पूछा, “और फिर ऑफिस में..?”
फाटक बाबू ने बताया, “आफ़िस में भी चैन नहीं है। वहां सुबह से शाम तक बॉस की बक-बक सुननी पड़ती है।”
उसे ऊपर से नीचे तक देखते हुए ज्योतिष ने आशीर्वाद दिया, “दीर्घायु भव!!!”
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अगर पसंद आया तो ठहाका लगाइगा
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Ha ha ha ha ....
जवाब देंहटाएंमजेदार ........
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा हा हा हा हा हा हा हः हा हा हा हा ....... सच!..... आपके ब्लॉग पर सुबह- सुबह आ कर दिन बन जाता है..... और फिर पूरा दिन अच्छा जाता है........
जवाब देंहटाएंमजेदार . हा हा हा हा हा हा हा हा
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा हा हा हा हा
जवाब देंहटाएंबसंत पंचमी की शुभकामनाएं
हा... हा....हा.... हा.... हा.... हा... हा.... !!!!!
जवाब देंहटाएंमज़ेदार ... शानदार ... हा... हा....हा.... हा.... हा.... हा... हा.... !!!
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंha ha ha ha............. :)
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा हा हा हा हा
जवाब देंहटाएंबसंत पंचमी की शुभकामनाएं