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सोमवार, 16 नवंबर 2009

चौके-छक्के – 1



मित्रों,
ब्लॉग की दुनियां में मैं भी आ गई। सिर्फ एक उद्देश्य से कि लोगों के तनाव भरे जीवन में एक-आध पल हंसी के बांट सकूं। इसके लिए जो भी मैं पेश करूंगी वे मेरे स्व रचित हों इसका दावा मैं नहीं कर सकती। मुझे जहां से भी हास्यफुहार मिलेगा, मैं पेश करती रहूंगी।
आज मेरे बड़े बेटे अभिषेक का जन्म दिन है। सुबह से ही इस उधेर-बुन में थी कि उसे क्या तोहफा दूं। “हास्यफुहार” के रूप मे ब्लॉग का तोहफा उसे ज़रूर पसंद आएगा। तो आप नीचे के आज के हास्यफुहार का आनंद लीजिए, मैं उसे फोन लगाती हूं।
हां अगर पसंद आया तो दिल खोलकर ठहाका लगाना नहीं भूलिएगा।

चौके-छक्के – 1

मियां-बीवी लौट रहे थे
होटल से खाकर खाना,
तबियत बड़ी रंगीन थी
मौसम भी था सुहाना।
हस्बैंड मचल रहा था
सुनने को फिल्मी गाना।
बीवी ने हाथों में हाथें
डालकर छेड़ा था ये तराना --
के .......
“भैया मोरे राखी के बंधन को निभाना
भैया मोरे छोटी बहन को न भुलाना”
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