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सोमवार, 23 नवंबर 2009

मेहमाननवाज़ी

अगर पसंद आया तो दिल खोलकर ठहाका Font sizeगाइएगा।
मेहमाननवाज़ी

“चाय पियेंगे या शर्बत?”
“शर्बत ही पी लूंगा।“
“शीशे के गिलास में लेंगे या स्टील के गिलास में?”
“शीशे के गिलास में ही दे दीजिए।“
“जी, अच्छा, फूलदार गिलास में लेंगे या सादे गिलास में?”
“ऊँ, कोई भी चलेगा।“
“जी, गिलास छोटा हो या बड़ा?”
दुखी होकर, “भाड़ में जाए तुम्हाराशर्बत और गिलास। मैं चला।“

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अगर पसंद आया तो ठहाके लगाइएगा
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