अगर पसंद आया तो दिल खोलकर ठहाका लगाइएगा।
एक बार मैं ट्रेन से आ रही थी। मन्द मन्द अपनी कविता गुनगुना रही थी।
सामने बैठे सज्जन ने मुझसे पूछा, “बहन आप कौन हैं, क्या करती हैं”
मैंने कहा, “कवयित्री हूं और कविता सुनाती हूं।“
शिष्टाचारवश मैंने भी पूछ ही दिया, “और श्रीमानजी आप कौन हैं और क्या करते हैं”
सज्जन बोले “बहरा हूं और नहीं सुनता हूं।“
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अगर पसंद आया तो ठहाके लगाइएगा
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ha-ha-ha-ha-ha...
जवाब देंहटाएंha-ha-ha-ha-ha...
जवाब देंहटाएंmajaa aa gaya
जवाब देंहटाएंha,,,,ha,,,,ha,,,ha,,,ha,,,ha,,ha,,
जवाब देंहटाएंbaht khoob
maja aa gaya