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रविवार, 10 जनवरी 2010

शादी के रस्मो-रिवाज


शादी के रस्मो-रिवाज

लड़कियों की शादी होने प्रक्रिया काफी सारे रस्मो-रिवाज लेकर आती है। उन्हीं प्रक्रियाओं में से एक है लड़के द्वारा लड़की का देखा जाना। या यूं कहें इंटरव्यू लेकर सलेक्ट करना। तो आज की हास्य फुहार यहीं से।

लड़का होने वाली दूल्हन को देखने आया था

अपना पूरा परिवार भी साथ लाया था

जब-जब मौक़ा ताड़ा

लड़के ने लड़की को जी भर निहारा।

अब इंटरव्यू की बारी थी।

लड़के की पूरी तैयारी थी।

भाभी ने उकसाया

देवर जी उमेठ अपनी मूंछ लो

और कुछ पूछना हो तो पूछ लो।

लड़का थोड़ा घबराया

पहले शरमाया

फिर फरमाया

घर-परिवार के रस्मों रिवाज़ को मानती हैं..?

ज़रा यह बताएं क्या खाना-वाना बनाना जानती है?

लड़की सकुचाई

नजरे उठाई

दिखने में निरीह और बेचारी थी

जवाब देने की अब उसकी बारी थी

उसने भी सोचा पूछे गए प्रश्न के उत्तर देने के साथ

पूछ लूं मैं भी अपनी बात

अपना मुंह खोली

और बोली

“हां जी घर-परिवार के रस्मों रिवाज़ को मानती हूं

और खाना बनाना भी जानती हूं ।

आज की नारी हूं मुझे क्या बेवकूफ मानते हैं ।

और अब आप बताएं –

क्या आप बर्तन मांजना जानते हैं ?

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अगर पसंद आया तो ठहाका लगाइगा

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13 टिप्‍पणियां:

  1. अरे वाह.....!
    पोस्ट की पोस्ट,
    शायरी की शायरी
    और
    हास्य-फुहार
    के साथ
    हाजिर-जवाबी भी!

    जवाब देंहटाएं
  2. बेहतरीन। लाजवाब। बहुत खूब .हा..हा..हा..हा..

    जवाब देंहटाएं
  3. वाह ! क्या बात कही आपने .. आखिर लड़कियां हड़ताल क्यों नहीं करतीं शादी के खिलाफ .. बस कुछ सालों की हड़ताल "हम शादी नहीं करेंगी.. न होने देंगी" सब कुछ अपने आप ठीक हो जायेगा .. बर्तन मांझने कि बात ही नहीं कपडे भी धोयेंगे .. बच्चों के पोतने तक धुले धुलाए मिलने लगेंगे ..

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  4. बहुत मजेदार रचना .......हा .हा.. हा....!

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  5. बहुत अच्छी कविता है आपकी! हास्य रस का बेजोड़ नमूना

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  6. ये तो हास्य कविता हो गई - अच्छी लगी.

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