एक दिन भगावन साधुओं की टोली में पहुंच गया। साधु ध्यानमग्न बैठे थे। वह कुछ बोलता उससे पहले एक साधु की नज़र उस पर पड़ी, तो उसने पूछा, “क्या है बच्चा, क्यों आए हो?”
भगावन बोला, “मैं साधु बनना चाहता हूं।”
उस साधु ने पूछा, “ऐसा क्या हुआ जो तुम इस उम्र में साधु बनने की ठान बैठे हो।”
भगावन बोला, “मेरे पिताजी ने कहा है कि वे मुझ नालायक़ को अपनी संपत्ति में से फूटी कौड़ी भी नहीं देंगे, अपनी सारी संपत्ति साधुओं को दान कर देंगे।”
bilkul sahi hai
जवाब देंहटाएंसही जगह पहुँचा है तब तो।
जवाब देंहटाएंखदेरन एण्ड कम्पनी का जवाब नहीं।
जवाब देंहटाएंकलियुग में यही तो होना था भगवन् आप सही जगह आ गए.
जवाब देंहटाएंक्या बात है !
जवाब देंहटाएंहा हा ...सही जगह गया ..
जवाब देंहटाएंहा हा क्या अक्कल लगाई है....बहुत बढ़िया रहा ये तो
जवाब देंहटाएंहाहाहााहाहाहा
जवाब देंहटाएंइसको कहते हैं दूरंदेशी!!
जवाब देंहटाएंअच्छा है पर कहानी अधूरी लग रही है । अच्चा लिखते हो लिखा करो मित्र
जवाब देंहटाएं-|->मिनिस्टर का लड़का फ़ैल हो। क्या वो मिनिस्टर उसे गोली मार देगा ? क्लिक कीजिये और पढ़िए पूरी कहानी और एक टिपण्णी छोड़ देना।