फुलमतिया जी, आपको तो मालूम ही है, कल उनका व्रत पूरा हो गया न बोलने का।
अब समय आ गया था उनके मुंह खोलने का।
आज सुबह-सुबह उनके बोल फूटे, खदेरन पर फ़िज़ूलख़र्ची का आरोप लगाते हुए बोलीं, “तुम बहुत से पैसे बेकार में ख़र्च करते हो।”
खदेरन ने पूछा, “आप यह कैसे कह सकती हैं?”
फुलमतिया जी ने बताया, “तुमने वह आग बुझाने वाला यंत्र ख़रीदा था, वह अभी तक एक बार भी काम नहीं आया!”
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंफ़ुरसत में … आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री जी के साथ (चौथा भाग)
बताया जाये, न ही बोलती।
जवाब देंहटाएंशुक्र है किसी दहेज पीडिता ने ये प्रश्न नहीं पूछा.
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर.........
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुंदर.........
जवाब देंहटाएं:):)
जवाब देंहटाएंbehtreennnnnn
जवाब देंहटाएं