बात उस रात की है जिस दिन खदेरन-फुलमतिया दम्पत्ति पहली बार मोबाइल फोन खरीद कर लाए थे।
नए फोन के घर में आने, और उससे फोन-वोन, गाना-वाना आदि के इनिशियल एक्साइटमेंट (शुरुआती उत्साह) के बाद दोनों सोने गए।
दोनों में से किसी ने सपना देखा, अब ये सपना ही तो हो सकता है, क्योंकि इतना बोलने का साहस और खदेरन से और ऐसे वार्तालाप की उम्मीद उनके घर में …..
फुलमतिया जी खदेरन के कंधे पर हाथ डाल कर बड़े प्यार से, “खदेरू डार्लिंग! कितना अच्छा होता कि तुम मैसेज होते, और … मैं तुम्हें सेव करके रखती …. और जब चाहे … तब पढती!!”
खदेरन इठलाते, शर्माते, सकुचाते, फुलमतिया जी से, “फुल्लू जान! केवल सेव करके ही रखती, … ऊं, .. .. या, किसी सहेली को भी फॉरवार्ड करती!”
हा हह। फिर फूलमती जी ने क्या कहा? लगता है खदेरन साब की धुलाई की होगी।
जवाब देंहटाएंनव वर्ष मुबारक
हा हा ।
जवाब देंहटाएंउत्तर की प्रतीक्षा में हैं हम लोग!!!
जवाब देंहटाएंवाह :)
जवाब देंहटाएंआप को सपरिवार नववर्ष 2011 की हार्दिक शुभकामनाएं .
सादर
हा हा हा ...
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
मोबाइल अभी सलामत है क्या :))
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
हाहाहहा फिर सपना टूट गया और मोबाइल की जगह लेंडलाइन लग गया। उसके बाद से खदेरन जी अपने ही घर में बिना जाने ही डरे डरे से रहने लगे।
जवाब देंहटाएंहा हा हा
जवाब देंहटाएंनव वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें !
bahut door tak mar ki.
जवाब देंहटाएंहा हा हा , बहुत खूब । अगर यह सपना न होकर हकीकत होता तो खदेरन को उपहार में एक करारा थप्पड़ तो जरूर मिलता ।
जवाब देंहटाएंआप को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं ....
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