उस दिन किसी कारण से भगावन स्कूल नहीं जा पया। तो उसकी मम्मी फुलमतिया जी ने कहा, “रिझावन के यहां जाकर आज पढाए गए सारे नोट्स ले आ, ता कि पता तो चले आज क्या पढाई हुई है?”
मम्मी का लाड़ला भगावन रिझावन के घर नोट्स लेने पहुंचा। काम करते-करते बहुत देर हो गई तो रिझावन बोला, “बहुत रात हो गई है। तू मेरे घर ही रुक जा।”
भगावन को यह प्रस्ताव पसंद आया। बोला, “ठीक है, मैं घर से अपना नाइटसूट लेकर आता हूं।”
कितना झटपट है भगावन!
जवाब देंहटाएंबहुत सिस्टेमैटिक है।
जवाब देंहटाएंwahhhhhh
जवाब देंहटाएंha ha ha ha
जवाब देंहटाएंभगवान भी हाई फाई हो गये हैं।
जवाब देंहटाएंहा हा हा ………मजा आ गया।
जवाब देंहटाएं:):) आदते नहीं छूटतीं
जवाब देंहटाएंha ha ha ha ha .......
जवाब देंहटाएंकितना समझदार बच्चा है.
जवाब देंहटाएंसरस एवं प्रभावशाली प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार कीजिए और गणतंत्र-दिवस के अवसर पर मंगल कामनाएं भी।
जवाब देंहटाएं===========================
मुन्नियाँ देश की लक्ष्मीबाई बने,
डांस करके नशीला न बदनाम हों।
मुन्ना भाई करें ’बोस’ का अनुगमन-
देश-हित में प्रभावी ये पैगाम हों॥
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सद्भावी - डॉ० डंडा लखनवी
यह सच्ची घटना है मेरे घर की.. मेरे घर में ऐसा अनुशासन था कि यदि किसी के यहाँ जाने का वादा कर रखा हो और किसी कारन वश जाना न हो पाए तो माताजी का आदेश होता था कि उसके घर जाकर बता आओ और माफी माँगकर अओ, वरना वो इंतज़ार करता रहेगा.. फोन नहीं था उस ज़माने में!!
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