फुलमतिया जी खदेरन के साथ फ़िल्म देख रही थीं। फ़िल्म का नाम था, बॉबी। गाना चल रहा था, ‘हम तुम कहीं को जा रहें हो और रास्ता भूल जाएं, सोचो कभी ऐसा हो तो क्या हो?’
फुलमतिया जी की चतुर बुद्धि में एक प्रश्न आया, “ए जी! अगर मैं खो गई, तो तुम क्या करोगे?”
खदेरन ने माथे पर बल डाला और जवाब दिया, “मैं अखबार में छपवाऊंगा!”
फुलमतिया जी का मन प्रसन्न हुआ, बोली, “तुम कितने अच्छे हो!” फिर पूछा, “क्या छपवाओगे?”
खदेरन ने बताया, “फुलमतिया जी, मैं छपवाऊंगा कि आप जहां भी हों, आराम से रहें और खुश रहें!”
:)))).......क्या बात है :)
जवाब देंहटाएं:):) कितना ध्यान रखते हैं फुलमतिया जी का
जवाब देंहटाएंसही तो कह रहे है।
जवाब देंहटाएंहा हा, सलामत ही रहना होगा।
जवाब देंहटाएंहाहाहहाहा.. बढिया है
जवाब देंहटाएंकमाल की सादगी है!!
जवाब देंहटाएंधांसू।
जवाब देंहटाएं---------
कौमार्य के प्रमाण पत्र की ज़रूरत है?
ब्लॉग समीक्षा का 17वाँ एपीसोड।
मज़ेदार!
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा ....
मज़ेदार!
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया,हा-हा-हा
जवाब देंहटाएंविवेक जैन vivj2000.blogspot.com
aap thik likhte hai
जवाब देंहटाएंgod help you u live always with fulmatia
जवाब देंहटाएंहा हा!! साथ में यह भी छपवा देना था कि रुपये पैसे की चिन्ता न करना..मैं हूं न!!!
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