तलाक का मुक़दमा चल रहा था।
मामला बहस के स्टेज तक आ गया।
मुवक्किल चवनिया प्रसाद ने अपने वकील से कहा, “जम के बहस कीजिए ताकि इस मुसीबत से मेरा जल्द से जल्द पीछा छूट जाए।”
वकील अकलु सिंह ने कहा, “वो तो मैं निपटा दूंगा, पर फीस पूरा देना होगा।”
चवनिया के माथे पर बल पड़ गए। पूछा, “कितना लेंगे आप?”
अकलु सिंह वकील ने मुस्कुराते हुए कहा, “ज़्यादा नहीं, बस पचास हज़ार रुपए लगेंगे।”
चवनिया की हैसियत तो नाम के अनुरूप ही थी, बोला, “आपका दिमाग तो नहीं फिर गया? जिसे आप तुड़वाने के लिए पचास हजार मांग रहे हैं, उस शादी के बंधन में बंधने के लिए हमें पंडित को सिर्फ़ इक्यावन रुपए देने पड़े थे।”
अकलु सिंह वकील सिर्फ़ नाम से ही नहीं सच में बुद्धि से भी अकलु ही थे, बोले, “तो देख लिया न सस्ते का नतीज़ा …!”
:):) सही है ..
जवाब देंहटाएंएकदम लाख टके का जवाब...!!
जवाब देंहटाएंहाहाहहा. बात तो सही है
जवाब देंहटाएंसस्ते का नतीज़ा …!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !!
मुझे अकलु सिंह को 30 लाख देने होंगे :))
जवाब देंहटाएंवाह :))
जवाब देंहटाएं--------------
कल 15/06/2011 को आपकी एक पोस्ट नयी-पुरानी हलचल पर लिंक की जा रही है.
आपके सुझावों का हार्दिक स्वागत है .
धन्यवाद!
नयी-पुरानी हलचल
मज़ेदार!
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा ...
सस्ता रोये बार बार।
जवाब देंहटाएंनहले पर दहला !!
जवाब देंहटाएंबहुत खूब !!
जवाब देंहटाएंसस्ता रोये बार बार!!
जवाब देंहटाएंसस्ते में तो ऐसा ही होवे है....
जवाब देंहटाएंdurust farmaya !
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