फुलमतिया जी चहक रही थीं। जब वो चहकती हैं तो सुन्दर दिखती हैं, यह उनका मानना है। आज खदेरन घर पर है। उसकी छुट्टी है। शाम होते ही फुलमतिया जी ने प्रस्ताव रखा, “चलो न, आज की शाम कहीं बाहर चलते हैं।”
खदेरन, “आज बहुत थक गया हूं।”
फुलमतिया जी, “कोई बात नहीं, कार मैं चलाऊंगी, तुम आराम से बैठना।”
खदेरन मन ही मन, ‘ओह! बुरे फंसे। मतलब जाएंगे कार में और आएंगे कल के अखबार में।’
वाह क्या बात है.. फुल्मातिया को खदेरन से ड्राईवर रखने के लिए कहना चाहिए ...नहीं तो खदेरन का अखबार बंद.. :))
जवाब देंहटाएंहा !हा !हा!
जवाब देंहटाएंwhat an Idea sir ji!!
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा।
जवाब देंहटाएंदेखा कितनी प्रतिभावान है फूलमतिया जी !
जवाब देंहटाएंमज़ेदार!
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा ....
great
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