बाबा का प्रवचन सुनकर फाटक बाबू और खदेरन लौट रहे थे।
रास्ते में फाटक बाबू ने कहा, “कितनी शांति मिलती है इस तरह के प्रवचन सुनकर। कितना ज्ञान बढ़ता है!”
खदेरन ने हां में हां मिलाई, “ठीके कहते हैं फाटक बाबू।”
फाटक बाबू ने आगे कहा, “कितना सही कहा बाबा ने दुख हमेशा हमारे साथ रहता है, लेकिन खुशी तो आती-जाती रहती है।”
खदेरन चहका, “बहुत सही फाटक बाबू, बहुत सही! अब देखिए न फुलमतिया जी तो हमेशा हमरे साथे न रहती हैं, लेकिन उनका बहिन सुगंधिया त आती-जाती रहती है।”
ha ha
जवाब देंहटाएंहा हा हा वाह फाटक बाबू\
जवाब देंहटाएंहा हा हा………सही है
जवाब देंहटाएंहास्यफुहार का यह अंदाज अच्छा लगा बहुत बहुत धन्यवाद|
जवाब देंहटाएंहाहाहहाहा.. क्या बात है
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा।
जवाब देंहटाएंबात खुशी की नहीं, साली की है।
जवाब देंहटाएंदुख सुख भी बीवी और साली की तरह है.. अद्भुत ज्ञान!!
जवाब देंहटाएंहा हा ... दुःख और सुख का सटीक उदाहरण
जवाब देंहटाएंधन्य हैं बाबा !
जवाब देंहटाएंरोचक...दिलचस्प....
जवाब देंहटाएंहा हा हा ......
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