खदेरन का जूता काफ़ी पुराना हो गया था। फाटक बाबू ने उससे कहा, ‘‘खदेरन अब इसे बदल ही डालो। जगह-जगह से तुम्हारी पांव की उंगली इसके बाहर झांक रही है।”
खदेरन ने सोचा, “अब बहुत कंजूसी हो गाई बदल ही देता हूं।”
वह फुटपाथ के दूकानदार से एक जोड़ी जूती बहुत मोल-तोल कर ले आया। जब वह वापस लौट रहा था तो अपनी पीठ भी ठोक रहा था कि उसने दूकानदार को बेवकूफ़ बना कर काफ़ी सस्ते में यह जूता ख़रीद लिया है।
घर पर आकर जब उसने उसे पैर में डाला तो बहुत मुश्किल से उसके पैर में आया। अब क्या करे! उसने उस जूते से ही काम चलाने का सोचा।
वह छोटा जूता पहने इधर से उधर घूम रहा था।
भगावन की निगाह उस पर पड़ी, तो बड़ी मुश्किल से अपनी हंसी रोकते हुए उसने कहा, “पापा! आपने यह जूता कहां से लिया।”
झुंझलाया तो था ही, अपनी बेवकूफ़ी पर खदेरन को गुस्सा भी था। अब भगावन के इस प्रश्न ने उसके सब्र की परीक्षा ही ले ली। बोला, “पेड़ से तोड़ा है।”
भगावन ने हंसते हुए कहा, “तो पापा, अगर दो चार महीने बाद तोड़ते तो आपके पैर के क़ाबिल हो जाता, ज़रा ज़ल्दी की आपने इसे तोड़ने में!”
कच्चे में तो ऐसा ही मजा आयेगा।
जवाब देंहटाएंसही कहा भागवान ने ...
जवाब देंहटाएंग्रेट!!!
जवाब देंहटाएंहा हा, जल्दबाजी से ही गड़बड़।
जवाब देंहटाएंha ha ha ha
जवाब देंहटाएंjaldi ka kam shaitan ka
पकने तो देते :):)
जवाब देंहटाएंमज़ेदार!
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा ....