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शुक्रवार, 24 जून 2011

एक और प्रवचन …!

बाबा का प्रवचन सुनकर फाटक बाबू और खदेरन लौट रहे थे।

रास्ते में फाटक बाबू ने कहा, “कितनी शांति मिलती है इस तरह के प्रवचन सुनकर। कितना ज्ञान बढ़ता है!”

खदेरन ने हां में हां मिलाई, “ठीके कहते हैं फाटक बाबू।”

फाटक बाबू ने आगे कहा, “कितना सही कहा बाबा ने दुख हमेशा हमारे साथ रहता है, लेकिन खुशी तो आती-जाती रहती है।”

खदेरन चहका, “बहुत सही फाटक बाबू, बहुत सही! अब देखिए न फुलमतिया जी तो हमेशा हमरे साथे न रहती हैं, लेकिन उनका बहिन सुगंधिया त आती-जाती रहती है।”

12 टिप्‍पणियां:

  1. हास्यफुहार का यह अंदाज अच्छा लगा बहुत बहुत धन्यवाद|

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  2. बात खुशी की नहीं, साली की है।

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  3. दुख सुख भी बीवी और साली की तरह है.. अद्भुत ज्ञान!!

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