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मंगलवार, 3 अगस्त 2010

काफ़ी दूर …

हंसना ज़रूरी है, क्यूंकि …


जिस दिन आप खूब हंसते-मुस्कुराते हैं, उस दिन आपके पुराने शारीरिक दुख-दर्द भी आपको कम सताते हैं।

काफ़ी दूर …


बात उन दिनों की है जब खदेरन का बेटा, भगावन, बहुत ही छोटा था। यूं कहिए कि वह बस अब  डग भरने लगा था।

उन दिनों खदेरन घर से दूर दूसरे शहर में काम करता था।

एक दिन फुलमतिया जी ने फोन से यह सूचना खदेरन को दी। “जानते हो! भगावन अब चलने लगा है!”

खदेरन ने खु़श होकर पूछा, “कब से?”

फुलमतिया जी ने चहक कर बताया, “आठ दिनों से!”

खदेरन चिंतित स्वर में बोला, “अरे! तुम अब बता रही हो? वो तो अब तक काफ़ी दूर निकल गया होगा!”


12 टिप्‍पणियां:

  1. फिर कहां मिला भगावन । भागते भागते कहां पहुंच गया था।

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  2. Hi..

    Ek vyakti ko doc ne salah di ki agar aap apna vajan kam karna chahte hain to roz 5 km chala keejiye..

    Ek maheene baad us vyakti ne doc ko phone kiya aur bataya ki wo unki salah par pichhle 1 maheene se amal kar raha hai..
    Doc ne puchha achha ye batao vajan kitna kam hua..
    Vyakti bola... Vajan par to khas farak nahi pada par wo apne ghar se 150 km jarur door pahunch gaya hai... Haha..

    Nice joke..

    Subah ki shuruat hanste hue..

    Deepak..

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  3. बहुत अच्छी प्रस्तुति।
    राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।

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  4. एक बेहद उम्दा पोस्ट के लिए आपको बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनाएं !

    आपकी पोस्ट की चर्चा ब्लाग4वार्ता पर है यहां भी आएं !

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