खदेरन, फुलमतिया और उनके सुपुत्र भगावन से अब तक तो आप भलि-भांति परिचित हो ही चुके हैं। आज आपको उस दिन का किस्सा सुनाती हूं जिस दिन भगावन की पहली परीक्षा का परिणाम आया था। खदेरन कहीं बाहर गया था। शाम में उसके घर में घुसते ही फुलमतिया जी बोलीं, “बच्चों की परीक्षा के परिणाम आ गए।” खदेरन ने उत्सुकता से पूछा, “क्या हुआ?!” फुलमतिया जी बोलीं, “पड़ोसन झुलनिया की बेटी को 99 प्रतिशत अंक आए हैं।” खदेरन को आश्चर्य हुआ। उसने कहा, “अच्छा….?! लेकिन उसके एक प्रतिशत अंक कहां गए?” फुलमतिया जी ने बताया, “वो हमारा बेटा भगावन ले आया है!” |
shabbash.... ! well done bhagaawan !!!
जवाब देंहटाएंwaah bhagaawan...jiyo jiyo...baap ka naam bahut raushan karoge tum..!
जवाब देंहटाएंha ha ha ha...!
रक्षा बंधन पर हार्दिक शुभकामनाएँ!!!!!
जवाब देंहटाएंAap ka blog hasee ka TONIC hai...koee bhee hanse bina nahee jata.
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं*** भारतीय एकता के लक्ष्य का साधन हिंदी भाषा का प्रचार है! उपयोगी सामग्री।
बहुत अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएं*** भारतीय एकता के लक्ष्य का साधन हिंदी भाषा का प्रचार है! उपयोगी सामग्री।
हा हा हा ...खदेरन ने अपने बेटे को खदेरा नहीं फिर ?
जवाब देंहटाएंचलो कुछ तो लाया!
जवाब देंहटाएं:)
जवाब देंहटाएंoh god....!!!
Mamma ne btaya ....fir maine bhee pada ....aap ka chootkula !!!
जवाब देंहटाएंHa ! ha! Ha !
वाह मज़ा आ गया ।
जवाब देंहटाएंवाह, क्या कहने हैं!
जवाब देंहटाएंहाहाहाहाहा
हाहाहा....
जवाब देंहटाएंलाजवाब...
शाबास! शाबास भगावन।
जवाब देंहटाएंहा..हा..हा..
WAAH .. KYA BAAT HAI ,,, AAJ KE IS TENSION SE BHARE YUG ME DO PAL KI KHUSHI KAHIUN SE MIL JAAYE TO BAHUT HI ACCHA HO ..AAPKO BADHAYI ...
जवाब देंहटाएंVIJAY
आपसे निवेदन है की आप मेरी नयी कविता " मोरे सजनवा" जरुर पढ़े और अपनी अमूल्य राय देवे...
http://poemsofvijay.blogspot.com/2010/08/blog-post_21.html
हा हा!! भगावन कुछ तो लाया बेचारा.... :)
जवाब देंहटाएंHa..ha..ha..ha....bahut badhiya.
जवाब देंहटाएं.......वाह, क्या कहने हैं!
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