किताबे ग़म में ख़ुशी का ठिकाना ढ़ूंढ़ो, अगर जीना है तो हंसी का बहाना ढ़ूंढ़ो।
बुझावन : डॉक्टर अपने प्रेस्क्रिप्शन पर क्या लिखते हैं कि मरीज को कुछ समझ नहीं आता, पर दुकानदार समझ जाता है!
बतावन : उसमें लिखा होता है, मैं तो इसे लूट चुका, अब तू भी लूट!
बहुत ही बढ़िया टिप्पणी आज की वास्तविकता पर. वाह..वाह..
nice
सटीक व्यंग्य।
बहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है। अलाउद्दीन के शासनकाल में सस्ता भारत-2, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
aap isi tarah logon ko hansaate rahen.
हास्य का सुन्दर रूप!
इन ३६५ दिनों की यात्रा में साथ देने तथा हौसलाआफ़ज़ाई और मार्गदर्शन के लिए आभार! सादर-मनोजआभार, आंच पर विशेष प्रस्तुति, आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पधारिए! अलाउद्दीन के शासनकाल में सस्ता भारत-2, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
लूट सके तो लूट।
हा हा हा ! बिल्कुल सही और सठिक व्यंग्य !
कम्बखत , मरतूत !
बहुत बढ़िया है......
:):) सही कहा .
हा..हा..हा..हा.....बुझावन के बात में दम है ।
क्या बात है ! क्या बात है !
बिल्कुल सही और सठिक व्यंग्य !
सही है।मज़ेदर!
हा..हा.......हा..हा...बहुत ही बढ़िया .
मजबूरों को जिस तरह, लूट सके तो लूटरोगी जीये, या मरे, तुझ को है सब छूट
वाह बहुत बढिया...hehehehe
हा हा हा……………बिल्कुल सही।
हा हा एकदम खरी बात :)
< Smiles >
हा हा! सच में..
कोई शक :) :)
हा हा हा हा फ़िर दोनों मिल कर लूटते हैं ..हा हा हा
बहुत ही बढ़िया टिप्पणी आज की वास्तविकता पर. वाह..वाह..
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंसटीक व्यंग्य।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंअलाउद्दीन के शासनकाल में सस्ता भारत-2, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
aap isi tarah logon ko hansaate rahen.
जवाब देंहटाएंहास्य का सुन्दर रूप!
जवाब देंहटाएंइन ३६५ दिनों की यात्रा में साथ देने तथा हौसलाआफ़ज़ाई और मार्गदर्शन के लिए आभार! सादर-मनोज
जवाब देंहटाएंआभार, आंच पर विशेष प्रस्तुति, आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पधारिए!
अलाउद्दीन के शासनकाल में सस्ता भारत-2, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
लूट सके तो लूट।
जवाब देंहटाएंहा हा हा ! बिल्कुल सही और सठिक व्यंग्य !
जवाब देंहटाएंकम्बखत , मरतूत !
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया है......
जवाब देंहटाएं:):) सही कहा .
जवाब देंहटाएंहा..हा..हा..हा.....
जवाब देंहटाएंबुझावन के बात में दम है ।
क्या बात है ! क्या बात है !
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही और सठिक व्यंग्य !
जवाब देंहटाएंसही है।
जवाब देंहटाएंमज़ेदर!
हा..हा.......हा..हा...
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया .
मजबूरों को जिस तरह, लूट सके तो लूट
जवाब देंहटाएंरोगी जीये, या मरे, तुझ को है सब छूट
वाह बहुत बढिया...hehehehe
जवाब देंहटाएंहा हा हा……………बिल्कुल सही।
जवाब देंहटाएंहा हा एकदम खरी बात :)
जवाब देंहटाएं< Smiles >
जवाब देंहटाएंहा हा! सच में..
जवाब देंहटाएंकोई शक :) :)
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा फ़िर दोनों मिल कर लूटते हैं ..हा हा हा
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