किताबे ग़म में ख़ुशी का ठिकाना ढ़ूंढ़ो, अगर जीना है तो हंसी का बहाना ढ़ूंढ़ो।
बुझावान : ये बताइए कि दफ़्तरों में अपने कैरियर के प्रति सचेष्ट (CAREER MINDED) किस तरह के कर्मचारियों को कहा जाता है?
बतावन : लोगों की पीठ में छूरा घोंपने (BACK STABBER) वाले को!
सही कहा...आज चुटकुला छोड़ कर अध्यात्म की बातें?? :)
are naya mod....
अरे बाप रे! किया परिभाषा दी है बतावन ने. मान गए उस्ताद.
सोच बतावन की
पसंद आयी
आज बतावन बहुत सीरियस है... बहुत ही सच्ची बात कह गया.... आज बतावन इतना सीरियस क्यूँ है?
बहुत अच्छी प्रस्तुति। भारतीय एकता के लक्ष्य का साधन हिंदी भाषा का प्रचार है! - टी माधवरावमध्यकालीन भारत धार्मिक सहनशीलता का काल, मनोज कुमार,द्वारा राजभाषा पर पधारें
बात तो बिल्कुल सही है! आपका हर एक पोस्ट बहुत ही सुन्दर और मज़ेदार लगता है !
तो तभी सचेत, जब दूसरा अवचेत ...
जमाने के अनुरूप बाते करता है बतावन !!
bilkul sahi baat kahi aapne.....
sach hai
NICEEEEEEEEEE
बिल्कुल सही!
लगता है आज 'बतावन' का मूड सही नहीं है :)मिलिए ब्लॉग सितारों से
लोगों की पीठ में छूरा घोंपने (BACK STABBER) वाले को!अब इतनी सच्ची बात कोई चुटकला होता है ..:):)
मज़ेदार, सच, सटीक!बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!चक्रव्यूह से आगे, आंच पर अनुपमा पाठक की कविता की समीक्षा, आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!
Ha...Ha...Ha....Ha!! bilkul Sahi jawab.
वाह जी वाह !!क्या बात कही है !!!कमाल के साथ धमाल भी !!!
ज़बाव तो सही है
इतनी सीरियसनैस ठीक नहीं :)
सही कहा...आज चुटकुला छोड़ कर अध्यात्म की बातें?? :)
जवाब देंहटाएंare naya mod....
जवाब देंहटाएंअरे बाप रे! किया परिभाषा दी है बतावन ने. मान गए उस्ताद.
जवाब देंहटाएंसोच बतावन की
जवाब देंहटाएंपसंद आयी
जवाब देंहटाएंआज बतावन बहुत सीरियस है... बहुत ही सच्ची बात कह गया.... आज बतावन इतना सीरियस क्यूँ है?
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। भारतीय एकता के लक्ष्य का साधन हिंदी भाषा का प्रचार है! - टी माधवराव
जवाब देंहटाएंमध्यकालीन भारत धार्मिक सहनशीलता का काल, मनोज कुमार,द्वारा राजभाषा पर पधारें
बात तो बिल्कुल सही है! आपका हर एक पोस्ट बहुत ही सुन्दर और मज़ेदार लगता है !
जवाब देंहटाएंतो तभी सचेत, जब दूसरा अवचेत ...
जवाब देंहटाएंजमाने के अनुरूप बाते करता है बतावन !!
जवाब देंहटाएंbilkul sahi baat kahi aapne.....
जवाब देंहटाएंsach hai
जवाब देंहटाएंNICEEEEEEEEEE
जवाब देंहटाएंबिल्कुल सही!
जवाब देंहटाएंलगता है आज 'बतावन' का मूड सही नहीं है :)
जवाब देंहटाएंमिलिए ब्लॉग सितारों से
लोगों की पीठ में छूरा घोंपने (BACK STABBER) वाले को!
जवाब देंहटाएंअब इतनी सच्ची बात कोई चुटकला होता है ..:):)
मज़ेदार, सच, सटीक!
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
चक्रव्यूह से आगे, आंच पर अनुपमा पाठक की कविता की समीक्षा, आचार्य परशुराम राय, द्वारा “मनोज” पर, पढिए!
Ha...Ha...Ha....Ha!!
जवाब देंहटाएंbilkul Sahi jawab.
वाह जी वाह !!
जवाब देंहटाएंक्या बात कही है !!!
कमाल के साथ धमाल भी !!!
ज़बाव तो सही है
जवाब देंहटाएंइतनी सीरियसनैस ठीक नहीं :)
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