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बुधवार, 8 सितंबर 2010

तीन सौ साल की उम्र

तीन सौ साल की उम्र

उस दिन खदेरन कुछ खरीददारी करने बाजार गया। तभी सड़क के किनारे फुटपाथ पर एक ठेला लगाए हॉकर की बातों ने उसका ध्‍यान आकर्षित किया।

हॉकर बोल रहा था, “दवा ले लो। जवानी लौटाने वाली दवा। अचूक असर!

खदेरन को आश्‍चर्य हुआ।

हॉकर बोले जा रहा था......... “यह दवा जरूर लें। आपकी जवानी लौट आएगी। यकीन न हो तो मुझे देखिए। इस दवा के बदौलत ही तीन सौ सा उम्र तक पहुँच गया हूँ।”

खदेरन ने उस विक्रेता के सहायक से पूछा, “ क्‍या यह आदमी तीन सौ साल का हो सकता है?”

उस सहायक आदमी ने कहा, “कह नहीं सकता सर! मैं तो सिर्फ डेढ़ सौ साल से ही इनके साथ रह कर दवा बेचने में इनकी मदद कर रहा हूँ।”

30 टिप्‍पणियां:

  1. हाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहाहा

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  2. सहायक को भी पूरी घुट्टी पिला दी गयी थी !!

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  3. अच तो फिर डेढ़ सौ साल बाद आना, फिर confirm हो जाएगा तो खरीद लूँगा !

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  4. vaa.. jara us hokar kaa pata dijiye.... ham bhii ajmaa lei.aur is muskhe ko apni practice me shamil kar lei......ha ha ha .jok bada jaandar..

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  5. वाह ! क्या सच में ऐसी कोई दवा है ?

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  6. बढिया............ एक ठो शीशी ६० साल के उपर के ब्लॉगर भाइयों के लिए मंगवाओ.

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  7. जरा हमें भी दिला दीजिए यह दवा । एक बार फिर जवानी के दर्शन कर लूं।

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  8. .
    .
    .
    सचमुच !
    आप आज बतायी...यहाँ ३०१ साल हो गये हैं इंतजार करते करते...;)


    ...

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  9. भाई वह क्या बात है ....
    (आपके पापा इंतजार कर रहे होंगे ...)
    http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_08.html

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  10. जीवन से निराश लोगों के लिए आशा का संदेश। प्रयाग लाल शुक्ल की पुस्तक राग दरबारी से उद्धृत वाक्य है। मैं आप सबको इसकी पृष्ठभूमि की ओर ले चलता हूं-शायद इस प्रस्तुति के माध्यम से भी आप सबको कुछ हास्य फुहार की उपस्थिति महसूस होगी। एक डॉक्टर बाबू की दवा की दुकान नही चलती थी। उनके पास हर उम्र के लोग आते थे। सब लोग एक ही दवा की मांग करते थे जो उनके पास नही थी। अंत में,उन्होने एक मरीज से पूछा कि भाई-सब लोग दवा की मांग तो करते हैं लेकिन बीमारी बताते नही हैं। उस आदमी ने कहा- डॉक्टर बाबू ये लोग शादी कर लिए हैं लेकिन जीवन से निराश हैं। इसलिए उन्हे उनके मांग के अनुसार दवा की व्यवस्था करें। इसमें आपका बहुत लाभ होगा। वे सब कुछ समझ गए एवं दूसरे ही दिन अपने दवा की दुकान के सामने एक बोर्ड लगा दिया । उस पर लिखा था-जीवन से निराश लोगों के लिए आशा का संदेश। परिणाम यह हुआ कि सभी मरीज उनकी लड़की के पास संदेश के लिए आने लगे। डॉक्टर बाभू सब कुछ समझ गए एवं दूसरे ही दिन बोर्ड के हटा दिया क्योंकि उनकी लड़की का नाम भी आशा था गुस्ताखी मांफ कीजिएगा। पहली वर्षगांठ पर हार्दिक शुभकामनाएं।

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