तब फूलमतिया जी की शादी का रिश्ता पक्का नहीं हुआ था। बात-चीत चल रही थी। खदेरन लड़की देख कर पसंद करने गया था। जब देखने का काम हो गया तो फुलमतिया जी की मां चम्पई देवी ने पूछा, “लड़का कैसा लगा?” फूलमतिया जी तो शुरु से वैसी ही थीं। जवाब देने के बदले प्रश्न दाग दिया, “तुम बताओ कैसा है?”
तो मम्मी चम्पई देवी बोलीं, “लड़का तो ठीक-ठाक है। पर, जब हंसता है तो इसके दांत बिल्कुल भी अच्छे नहीं लगते।”
यह सुन फुलमतिया जी बोलीं, “ तू चिंता मत कर! वैसे भी मैं शादी के बाद इसे हंसने का मौक़ा कब दूंगी!” |
nice
जवाब देंहटाएंहा हा !! सही कहा. खदेरन शादी से पहले जितना हँसना है उतना हस लो, बाद में मौका नहीं मिलने वाला
जवाब देंहटाएंhaha...... bahut khub....
जवाब देंहटाएंsaare fulmatiya aise hi karte hain, saadi ke baad koi khaderan hass saka kya???:P
जवाब देंहटाएंतब तक तो हँस ले बेचारा ...!
जवाब देंहटाएंवाह! क्या बात है! बहुत खूब!
जवाब देंहटाएंहा हा ...बढ़िया है ..
जवाब देंहटाएंयह मानवाधिकार हनन का मामला नहीं होगा क्या?
जवाब देंहटाएंgalat bat
जवाब देंहटाएंहा... हा... हा... हा.... हा... हा... हा... हा....
जवाब देंहटाएंचलो भाई, अभिये खुल कर हंस लिया जाए.... बाद का क्या भरोसा........!
अच्छी प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंराजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
काव्य प्रयोजन (भाग-८) कला जीवन के लिए, राजभाषा हिन्दी पर मनोज कुमार की प्रस्तुति, पधारें
shadi ke baad to ladke aur ladki dono ko hi hansane ka kam kouka milta hai..... :(
जवाब देंहटाएंkouka= mouka
जवाब देंहटाएं:-)
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा हा सही बात है ! मगर फिर भी आपके ब्लॉग पर हसने का मौका मिल ही जाता है !
जवाब देंहटाएंमज़ेदार!
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा....
राम जन्मभूमि पर भव्य मंदिर का निर्माण हो
जवाब देंहटाएंParticipate in Poll
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Thnx
बाप रे।
जवाब देंहटाएंहाहा.. सही है!!
जवाब देंहटाएंसच्चाई कहाँ छुपी रहती है?
सोच में हूँ आपके उनका क्या हाल होगा ?:)
जवाब देंहटाएंमजेदार!!
जवाब देंहटाएं:}
जवाब देंहटाएंsahi hai ji...haa..haa..ha...
जवाब देंहटाएंnahi aisa kuch nhi hain.......husband hasna chahe to has sakta hain,but vo apni patni ko khush dekhna chahata hai so dukhi rahta hain.
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