खुलकर हंसने और हंसकर आस-पास का वातावरण प्रसन्न रखने वाले व्यक्ति का वृद्धत्व आने पर भी स्वास्थ्य व सौंदर्य बना रहता है। |
कक्षा में अध्यापिका ने भगावन से पूछ, “भगावन! कल जो पाठ दिया गया था, उसे याद किया तुमने?” भगावन ने कहा, “नहीं मैम!” अध्यापिका ने गुस्से में पूछा, “क्यों?” भगावन ने बताया, “मैम! कल शाम में मैं जैसे ही पढने बैठा तो बिजली गुल हो गई।” अध्यापिका ने पूछा, “तो क्या फिर लाइट आई ही नहीं?” भगावन ने बताया, “आई मैम! पर इस डर से मैं पढने नहीं बैठा कि कहीं मेरी वजह से फिर बिजली न चली जाए।” |
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मंगलवार, 28 सितंबर 2010
बिजली गुल हो गई।
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बढ़िया है:))
जवाब देंहटाएंवो भाई साहब अभी नहीं आए. चलो मैं ही लिख देता हूँ - 'Nice'
जवाब देंहटाएंहाहाहाहाहाहाहाहहाहाहाहहाहाहहााहाहा
जवाब देंहटाएंकितना समझदार बच्चा है हमारे जैसा।हहीहीहीहीही बड़े होकर कुछ नहीं करेगा....।
ha ha ha ha !
जवाब देंहटाएंवाह ..
जवाब देंहटाएंh ah a ha bahut hi samjhdaar bahccha....
जवाब देंहटाएंकितना ख्याल रखता है बच्चा सबका.... :) उसे इनाम दिया जाये!
जवाब देंहटाएंहा हा !! वैसे भगावन की बात में दम तो है !!!
जवाब देंहटाएंइसको कहते हैं कॉनफिडेंस...बिजली से जादा भगावन को अपना आप पर भरोसा है!!
जवाब देंहटाएंबिजली तो नहीं जाएगी बच्चू, पर तेरी डिगरी का पता नहीं ...
जवाब देंहटाएंएक तो बेचारा सब का ख्याल रख रहा है और लोग उस पर हस रहे है बड़ी नाइंसाफी है
जवाब देंहटाएंभाई हम भी कभी भगवान थे।
जवाब देंहटाएंमज़ेदार!
हाहाहाहा
कितना ध्यान रखा सबका...दूसरों की भलाई के लिए पढ़ाई भी छोड़ दी
जवाब देंहटाएंha ha ha ha ha bahut hi samjhdaar bahccha.
जवाब देंहटाएं:) :):) कितनी समझदारी की बात की ...
जवाब देंहटाएंheheheh.......kya samghdaar baccha hai........
जवाब देंहटाएंहो सकता है ... हा हा ...
जवाब देंहटाएंतर्क बहुत अच्छा है!
जवाब देंहटाएंहाहाहा
जवाब देंहटाएंबहुत ही समझदार बच्चा है....
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंकाव्य प्रयोजन (भाग-१०), मार्क्सवादी चिंतन, मनोज कुमार की प्रस्तुति, राजभाषा हिन्दी पर, पधारें