सुबह सुबह फटक बाबू और खंजन देवी नाश्ता के टेबुल पर बैठे नाश्ता कर रहे थे। तभी खंजन देवी ने कहा, “एक बात मैं शर्त लगा कर कह सकती हूं, कि आज का दिन आपको याद नहीं होगा।” फाटक बाबू दफ़्तर जाने की हड़बड़ी में थे। नाश्ते के टेबुल पर तो कुछ नहीं बोले, पर दफ़्तर जाने से पहले थोड़ा नराज़ स्वर में बोलते गए, “बिल्कुल याद है!” और फाटक बाबू निकल गए। खंजन देवी उनको जाते हुए देखती रही। १० बजे कॉल बेल बजी। खंजन देवी ने दरवाजा खोला तो सामने दफ़्तर का चापरासी एक बुके खंजन देवी को थमा गया। बोला साहब ने भिजवाया है। १२ बजे फिर कॉल बेल बजी। खंजन देवी ने दरवाजा खोला तो सामने दफ़्तर का चापरासी चौकलेट से भरा बक्सा खंजन देवी को थमा गया। बोला साहब ने भिजवाया है। २ बजे फिर कॉल बेल बजी। खंजन देवी ने दरवाजा खोला तो सामने दफ़्तर का चापरासी बुटिक से डिजाइनर ड्रेस खंजन देवी को थमा गया। बोला साहब ने भिजवाया है। खंजन देवी फाटक बाबू के दफ़्तर से आने की प्रतीक्षा आज बड़ी बेसब्री से कर रही थी। ६ बजे फिर कॉल बेल बजी। खंजन देवी ने दरवाजा खोला तो सामने फाटक बाबू थे। खंजन देवी बोलीं, “पहले पुष्प गुच्छ, फिर चौकलेट, फिर इतना सुंदर ड्रेस, मुझे पता नहीं था कि मेरी मम्मी का जन्मदिन आपके लिए इतनी अहमियत रखता है।” |
बेचारे फाटक बाबू :))
जवाब देंहटाएंबहुत ही बढ़िया एनिमेशन का प्रयोग किया गया है.
< smiles >
जवाब देंहटाएंहा हा!! फाटक बाबू कन्फ्यूजिया गये लगता है. :)
जवाब देंहटाएंha ha ha ha ! too good .
जवाब देंहटाएंफाटक बाबू को अब आगे से मुसीबत के वक़्त नानी की जगह सासु याद आएगी ...
जवाब देंहटाएंहा हा हा फ़ाटक बाबू सुब्भानाल्लाह ।
जवाब देंहटाएंमज़ेदार!
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा....
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
देसिल बयना-नदी में नदी एक सुरसरी और सब डबरे..., करण समस्तीपुरी की लेखनी से, “मनोज” पर, पढिए!
काव्य प्रयोजन (भाग-१०), मार्क्सवादी चिंतन, मनोज कुमार की प्रस्तुति, राजभाषा हिन्दी पर, पधारें
hhehehehehe.......very nice...
जवाब देंहटाएंहा हा हा……………मज़ा आ गया।
जवाब देंहटाएंवाह , ब्लॉग की ये दो पंक्तियाँ बहुत पसंद आईं ..
जवाब देंहटाएंहास्यफुहार
किताबे ग़म में ख़ुशी का ठिकाना ढ़ूंढ़ो, अगर जीना है तो हंसी का बहाना ढ़ूंढ़ो।
हा हा !! फाटक बाबु की क्या बात है :-)
जवाब देंहटाएंहा……………मज़ा आ गया।
जवाब देंहटाएंहा हा हा ... क्या बात है ... बहुत अच्छा है ...
जवाब देंहटाएंहा हा।
जवाब देंहटाएंbechare fatak babu .........
जवाब देंहटाएंtoooooo good .....:)
हा हा हा हा ! बहुत ही मज़ेदार लगा!
जवाब देंहटाएंमजेदार
जवाब देंहटाएंसास त खुस होकर आधा जायदाद लिख दी होगी दमाद के नाम कि एही हमरा असली बेटा है.
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत बढ़िया है
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा हा हा………
जवाब देंहटाएंबढ़िया रहा
मजेदार
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जवाब देंहटाएं.
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हा हा हा हा,
बेचारे खंजन बाबू !
...
kya baat hai..apka poora blog hi bhaut achche achche hasyo se bhara hua hai.
जवाब देंहटाएंmaja a agya
बेचारा फाटक बाबू... मन मसोस कर रह गया होगा... हा हा हा हा हा हा ........ मज़ा आ गया...
जवाब देंहटाएंha..ha...ha..ha..ha....bahut hi badhiya.
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