उस दिन भगावन, खदेरन का बेटा, बहुत ज़ोर-ज़ोर से अपनी मम्मी से बात कर रहा था। खदेरन ने उसे अपने पास बुलाया और कहा, “क्या भगावन, आज फिर तू ने मम्मी से तेज़ आवाज़ में बात की?” भगावन भी फुलमतिया जी का ही बेटा है, बोला, “मुझे मालूम है डैड, आप मुझसे जलते हैं, क्यूंकि आप ऐसा नहीं कर सकते!”
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आख़िर बेटा किस का है.....बहुत बढ़िया.
जवाब देंहटाएंकितना समझदार बेटा है ...!
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंजख्म पर नमक नहीं, झंडूबाम लगा गया ये तो .. !
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी प्रस्तुति। राजभाषा हिन्दी के प्रचार-प्रसार में आपका योगदान सराहनीय है।
जवाब देंहटाएंकहानी ऐसे बनीं–, राजभाषा हिन्दी पर करण समस्तीपुरी की प्रस्तुति, पधारें
हा हा!! डैडी आजतक हिम्मत नहीं जुटा पाये तो जलेंगे ही न!
जवाब देंहटाएंबहुत खुब कहा....
जवाब देंहटाएंहा हा हा ...सही बात|
जवाब देंहटाएंब्रह्माण्ड
समझदार भगावन।
जवाब देंहटाएंdukhati rag par hath mat rakh beta
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा
जवाब देंहटाएंमज़ेदार
कहानी घर घर के घरारे की
क्या खूब कहा.....
जवाब देंहटाएंमज़ेदार !!!!
हा हा ...क्या बात कही है ...बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंhahaha...
जवाब देंहटाएंbahut khub....
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मेरे ब्लॉग पर इस मौसम में भी पतझड़ ..
जरूर आएँ...
क्या खूब कहा.....हर घर का सच या. यूँ कहिये मेरे घर का सच
जवाब देंहटाएंwah! bahut khoob.....
जवाब देंहटाएंहा हा हा ....
जवाब देंहटाएंखदेरन तो कमाल है कैसी कैसी पोल खोल कर रख देता है
जवाब देंहटाएं:-) :-) :-)
जवाब देंहटाएंउपयोगी हास-परिहास!
जवाब देंहटाएंही ही ही क्या बात है ......बहुत हे बढ़िया ..
जवाब देंहटाएंबेटा किस का है... हा हा ...
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