मम्मी से पूछो एक दिन खदेरन ने अपने बेटे भगावन का जी.के. टेस्ट करने का मन बना लिया। उसने भगावन को बुलाया और पूछा, “ये रावी, चेनाब और सतलज कहां है?”
भगावन ने पापा की ओर देखा और कहा, “आप मुझसे क्यों पूछते हैं? मम्मी से पूछिए, वही चीज़ों को इधर-उधर रख देती है।”
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हा हा!! सही है.
जवाब देंहटाएंहाहाहाहाहा
जवाब देंहटाएंयह घर घर की समस्या लगती है.
जवाब देंहटाएंnice
जवाब देंहटाएंरोचक!
जवाब देंहटाएंहिन्दी, भाषा के रूप में एक सामाजिक संस्था है, संस्कृति के रूप में सामाजिक प्रतीक और साहित्य के रूप में एक जातीय परंपरा है।
स्वच्छंदतावाद और काव्य प्रयोजन राजभाषा हिन्दी पर, पधारें
जवाब देंहटाएंsahi to kaha bechare bachche ne wo kya jane ha ha ha
जवाब देंहटाएंहमारे यहाँ भी यही हाल है। ढूढ़ते हैं हम भी।
जवाब देंहटाएंha ha ha ...:)
जवाब देंहटाएंbahut badiya...
ये two in one joke है, प्रत्यक्ष तो जाहिर है ही, पर परोक्ष रूप से भी त्रिया चरित पर करारा व्यंग्य है! अब जनाब नारी मुक्ति मोर्चा के ज़माने में सीधे सीधे तो नहीं कह सकते न !
जवाब देंहटाएंबहुत ही अच्छा कहा आपने. मजा आ गया
जवाब देंहटाएंमज़ेदार!
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा....
फ़ुरसत में .. कुल्हड़ की चाय, “मनोज” पर, ... आमंत्रित हैं!
:-)
जवाब देंहटाएंमेरी ग़ज़ल:
मुझको कैसा दिन दिखाया ज़िन्दगी ने
हा हा हा ....सारा दोष मम्मी पर ही आ जाता है ..
जवाब देंहटाएंहा-हा-हा....
जवाब देंहटाएंहाहाहाहाहा
जवाब देंहटाएंफिर भूल भी जाती है :-)
जवाब देंहटाएंबहुत भुलक्कड़ है मम्मी ....
जवाब देंहटाएंsahi..kahaa....
जवाब देंहटाएंdono ki pitaayi hui hogi..
जवाब देंहटाएं:)
ye mammiya hoti hi aisi hai..
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