दुश्मनों से मुक्ति
आज सुबह – सुबह मेरे पति स्नानादि कर पूजा अर्चना कर रहे थे।
पूजा की समाप्ति पर ईश्वर से प्रार्थना कर रहे थे, “हे भगवान ! मुझे आज मेरे दुश्मनों से मुक्ति दिलाओ।”
मैंने सुन लिया, बोली “कितनी भी पूजा कर लो, मुझसे मुक्ति नहीं ही मिलेगी।”
हा-हा-हा-ह--... आप भी सोच रहे होंगे कि आज आपसे ठहाके लगाने का निवेदन करने के वजाए मैं ही ठहाके लगा रही हूँ।
जब 22 साल झेल गये तो अब कहां जायेंगे?
आज हमारी शादी की २२वीं सालगिरह है।
अक्तूबर से शुरु किये गये इस सिलसिले में मैंने हंसी बांटने की भरपूर कोशिश की। नोंक-झोंक से तो बंधन और मज़बूत ही होता है। आशा है हमारा यह नोंक-झोंक आपको ज़्यादा झेलाया ना होगा।
आज से यह सिलसिला बंद कर रही हूँ।
ब्लाग जगत में निष्ठा, विश्वास और प्रेम बना रहे क्य़ोंकि
स्नेह. शांति, सुख, सदा ही करते वहां निवास
निष्ठा जिस घर मां बने, पिता बने विश्वास।
इसलिये
मुस्कुराना चाहता तो प्यार कर हर शख्स से,
नफ़रतें तो दिल जलाकर दर्द ही देंगी तुझे।
फलसफा है जीने का
जिंदगी के हर मोड़ पर
सुनहरी यादों के एहसास रहने दो।
सुरुर दिल में जुबां पे मिठास रहने दो।
यही फलसफा है जीने का,
ना ख़ुद रहो उदास
ना दूसरों को उदास रहने दो।
निवेदन
किताबे ग़म में खुशी का िठकाना ढूंढो
अगर जीना है तो हंसी का बहाना ढूंढो ।