एक दिन फुलमतिया जी और खदेरन बाज़ार से गुज़र रहे थे। इतने में एक भिखारी आया और खदेरन को संबोधित करते हुए बोलने लगा, “साहब! दस रुपए दे दो साहब! दस दे दो गर्लफ़्रेण्ड को फोन करना है।”
यह सुन फुलमतिया जी ने खदेरन पर ताना मारा, “देखो! भिखारी भी अपनी गर्लफ़्रेण्ड को कितना प्यार करता है!”
यह सुन भिखारी बोला, “अरे नहीं मेम साहब! बात इसके उलट है। उसे प्यार करने के बाद ही मैं भिखारी बना हूं।”
हा हा!! यही हाल होता है...
जवाब देंहटाएंप्रेम में ऐसा भी होता है , हम तो सोचते थे सिर्फ विवाह में होता है :)
जवाब देंहटाएंअभी तो इश्क ही हुआ है बेटा... शादी के बाद पता चलेगा :)
जवाब देंहटाएंBechara!
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा हा ,
जवाब देंहटाएंha ha
जवाब देंहटाएंsahi kaha aapne
aisa bhi hota hai ha ha ....
जवाब देंहटाएंबेचारा...
जवाब देंहटाएंPYAR ME AISA HI HOTA HAI :)
जवाब देंहटाएंहा हा हा\ बहुत खूब।
जवाब देंहटाएंभिखारी बन गया फिर भी सुधरा नहीं अभी भी उसी के पीछे है |
जवाब देंहटाएंकितने लोग कंगाल बन गए ... इश्क की दुनिया में ...
जवाब देंहटाएंमज़ेदार!
हा-हा-हा....
हा हा हा हा .......
जवाब देंहटाएंकुछ ऐसा ही फ़रमाया था शाहजहाँ ने ताजमहल देखकर कि बात बात में बहुत ख़र्चा हो गया!
जवाब देंहटाएंsab kuchh lutaya humne, aa kar teri gali mein
जवाब देंहटाएंha ha ha ha ha ha ha.....bahut khoob!
जवाब देंहटाएंप्यार नासमझी से किया जाये तो ऐसा भी हो सकता है.
जवाब देंहटाएं