भगावन को नींद नहीं आ रही थी।
उसने अपनी मां से कहा, “मां! मां!! … आज कोई कहानी सुनाओ ना …।”
फुलमतिया जी ने भगावन के सर पर हाथ फेरा और कहानी सुनाना शुरु किया, “एक था राजा …..!”
फुलमतिया जी के आगे कुछ बोलने के पहले ही भगावन ने बात काटते हुए कहा, “ओह मां! कोई और कहानी सुनाओ ना …… टू जी स्पेक्ट्रम घोटाले के बारे में मुझे सब पता है!!!”
बहुत अच्छी प्रस्तुति। हार्दिक शुभकामनाएं!
जवाब देंहटाएंफ़ुरसत में … आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री जी के साथ (पांचवां भाग)
हमको भी पता है, अब रानी की कहानी सुनायी जाये।
जवाब देंहटाएंहा हा हा !
जवाब देंहटाएंऔर क्या! अब तो राजा की कहानी घिसी पिटी सी लगती है। शुभकामनायें
जवाब देंहटाएंआज तो बहुत ही मजेदार रहा जोर दार ठहाका हा हा हा हा हो हो हो हो
जवाब देंहटाएंसही तो कहा है।
जवाब देंहटाएंहां, इन राजाओं की कहानी अब तो बच्चा बच्चा जानता है। कुछ फ़्रेश चाहिए भगावन को ....
जवाब देंहटाएंमज़ेदार!
हा-हा-हा .......
मतलब अब बच्चे भी राजा से बोर हो गये!!
जवाब देंहटाएं:D.........
जवाब देंहटाएंha... ha... ha... ha... ha.... !
जवाब देंहटाएं@प्रवीण जी- रजा की ही कहानी में एक रादिया नाम की रानी भी है....
जवाब देंहटाएंवैसे तो राजा की कहानी में हमेशा राजा की जीत होती है, लेकिन इस बार नहीं होनी चाहिए. वर्ना देश को बहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी...
bahut achchhaa
जवाब देंहटाएंmagar ye raja to sabhi choro kaa raja niklaa .
एक था (है)चन्द्रशेखर
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